Book Title: Jain Bal Bodhak 03
Author(s): Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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जैनबालबोधकपूजन विधि जान्यो नहीं, नहिं जान्यो माहान। .
और विसर्जन हूँ नहीं, क्षमा करो भगवान ॥२॥ मंत्रहीन धनहीन हूँ, क्रियाहीन जिनदेव ! क्षमा करहु राखहु मुझे, देहु चरणको सेव ॥ ३ ॥ आये जो जो देव गन, पूजे भक्ति भमान । सो अब जावहु कृपाकर, अपने अपने यान ॥ ४ ॥ इति जिनपूजा शांति पाठ विसर्जन समाप्त ।
9093EECe १५. चौबीस तीर्थकरोंके नाम और चिन्ह.
चौपाई। वृषभ नायका 'वृषभ' जुजान | अजित नायके 'हाथी' मान सम्भव जिनके 'घोडा' कहा । अभिनन्दन पद 'बन्दर लहा सुमति नाथके 'चकवा' होय । पप प्रभके 'कमल' जु जोय जिन सुपार्श्वके 'साथिया' कहा । चन्द्र प्रभ पद 'चन्द्र' जु लहा पुष्पदंत पद 'मगर' पिछान। 'कल्पवृक्ष शीतल पद मान श्रीश्रियांसपद गेंडा' होय । वासुपूज्यकै 'भैसा' जोय विमलनाथ पद 'मूकर' मान । अनन्तनाथके 'सेही जान 'धर्मनाथके 'वज्र' कहाय । शांतिनाथ पद 'हिरन लहाय कुन्थुनाथके पद'ज' चीन। 'भर' जिनके पद चिह्न जु'मीन' मल्लिनाथ पद 'कलसा' कहा । मुनि सुव्रतके 'कछुआ लहा लाल कमल नमि जिनके जोय । नेमिनाथ पद 'शंख' जु होय पार्श्वनाथके 'सर्प जु कहा । वर्द्धमान पद 'सिंह' हि लहा।।