Book Title: Jain Bal Bodhak 03
Author(s): Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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जैनवालवोधकमनुष्य पशु पक्षी भयभीत हो जानसे मारे जाते हों तौ तन मन धनसे उनके प्राण बचा देना वा निर्भय · कर देना तथा आजकल जगह २ सेवा समितिये स्थापन हुई हैं उनमें सभासद होकर गरीब रोगी असमर्थ असहाय जीवोंको तन मनसे.सहायता करना इत्यादि अनेक काम अभयदानके हैं सो इन चारों प्रकारों के दानोंमेंसे कुछ न कुछ नित्य प्रति दान करना सो गृहस्थीका नित्य दान कर्म है।
९ सत्यवादी चौर. बहुत प्राचीन समयमें उज्जैन नगरके निकटवर्ती बनमें एक समय मुनि महाराज पधारे । उनकी प्रशंसा सुन का नगरके मायः सभी लोग दर्शनार्थ पाये, उन सवको मुनि महाराजने धर्मोपदेश देकर अनेकोंको गृहस्थ धर्म अनेकोंको मुनिधर्म ग्रहण कराया। अनेकोंने हिंसा चोरी झूठ कुशील आदि पापोंसे बचे रहनेकी प्रतिज्ञायें ली । किसीने सप्तव्यसन व मद्य मांस मधु आदिका.त्याग किया। जब सत्र जने मुनि महाराजका धर्मोपदेश सुनकर यथोचित त्याग प्रहण करके चले गये तब एकांत पाकर एक चोर भी मुनि
. .. १ प्राचीन कालसे इसमें उच्च प्रकृतिके जैन लोग ही रहते वा राजा होते आये हैं इसी कारण इसका नाम उत्+जैन = उज्जैन पडा है भाजकल इसे उज्जैनी-उज्जयनी उजीण कहते हैं यह ग्वालियर राज्यके मालवा प्रांतमें ऐतिहसिक नगर है। .