Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
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पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध ।
शुद्ध २९८ ३ डोलके रास्ते
नाडोलके रास्ते नहरवाले तक ३०१ फुटनोट Vol. I, P. 170. Vol. II, P.230. ३०३ १५ था | ३०७ २१ भतीजे
चचेरे भाई ३०९ ५ ७३
७०३ ३०९ ७,९,१२,२१, नेहरदेव
कान्हड़देव ३०९ २३ चार पड़ावतक ३०९ फुटनोट(२) -71 नेहरदेवको
कान्हडदेवको ३१४ ४ सोमितका
सोभितका और संग्रामसिंह और उसका संग्रामसिंह
वि० सं० १२१८ ३१८ १२ टोकरा
टोकरी नोट-इनके सिवाय अक्षर मात्रा आदि उलट-पुलट जानेसे तथा दृष्टिदोषने और भी जो अशुद्धियाँ रह गई हैं उन्हें पाठकगण मुधार कर पढ़नेकी कृपा करें ।
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