Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya

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Page 382
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारतके प्राचीन राजवंश चन्द्रावतीके देवड़ा चौहान । १-मानसिंह। हम पहले उदयसिंहके इतिहासमें लिख चुके है कि मानसिंह ( मानवसिंह ) उदयसिंह का बड़ा भाई था। २-प्रतापसिंह। यह मानवसिंहका पुत्र और उत्तराधिकारी था । इसका दूसरा नाम देवराज भी था और इसीसे इसके वंशज देवड़ा चौहान कहलाये। ३-बीजड़ ।। यह प्रतापसिंहका पुत्र और उत्तराधिकारी था। इसकी उपाधि ‘दशस्पंदन' थी। वि० सं०१३३३ ( ई० स० १२७६ ) का इसके समयका एक लेख टोकरा ( सीरोही राज्यमें ) गाँवसे मिला है । इससे प्रकट होता है कि इसने आबूके पश्चिमका बहुतसा प्रदेश परमारोंसे छीन लिया था। इसकी स्त्रीका नाम नामल्लदेवी था। इससे इसके ४ पुत्र हुएलावण्य कर्ण, ढुंढ (लुभा ), लक्ष्मण और लणवर्मा । इनमें से बड़े पुत्र लावण्यकर्णका देहान्त बीजड़के सन्मुख ही हो गया था। ४-लुंढ (लुंभा)।। यह बीजड़का द्वितीय पुत्र और उत्तराधिकारी था । वि० सं० १३७७ (ई० स० १३२० ) का इसके समयका एक लेख आबू परके अचलेश्वरके मन्दिरमें लगा है। इससे प्रकट होता है कि इसने चन्द्रावती और अर्बुद ( आबू ) के प्रदेशपर अधिकार कर लिया । इसके समयके वि० सं० १३७२ ( ई० स० १३१६ ) और वि० सं० For Private and Personal Use Only

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