Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya

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Page 384
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारतके प्राचीन राजवंश परिशिष्ट । धौलपुरके चौहान । वि० सं० ८९८ की वैशाख शुक्ला २ का एक लेख धौलपुरसे मिल. है । यह चौहान राजा चंड महासेनके समयका है । इसमें वहाँके चौहानोंकी वंशावली इस प्रकार दी है: १ ईसुक, २ महिशराम ( इसकी स्त्री कराहुल्ला इसके पीछे सती हुई थी), ३ चण्डमहासेन। भडौचके चौहान । वि० सं० ८१३ का एक ताम्रपत्र भड़ौच ( गुजरात ) से मिला है। उसमें वहाँके चौहानोंकी वंशावली इस प्रकार दी है: १ महेश्वरदाम, २ भीमदाम, ३ भर्तृवृद्ध प्रथम, ४ हरदाम, ५ भ्रूभट ( यह हरदामका छोटा भाई था ), ६ भर्तृवृद्ध द्वितीय ( यह नागावलोकका सामन्त और भडौंचका राजा था )। इस समय चौहानोंके वंशजोंका राज्य छोटा उदयपूर, बरिया, सीरोही, बूंदी और कोटा इन पाँच स्थानोंमें है । इनमेंसे पहलेकी तीन रियासतोंका सम्बन्ध तो सांभरकी मुख्य शाखासे बतलाया जा चुका है और बार्काकी दो रियासतोंका सम्बन्ध भी मूता नैणसीकी ख्यात और कर्नल टौड आदिके आधारपर नाडोलकी शाखाकी ही उपशाखामें प्रतीत होता हैं। इनके एक पूर्वजका नाम हरराज था। उसीके नामके अपभ्रंशसे ये लोग हाडा चौहानके नामसे प्रसिद्ध हुए । For Private and Personal Use Only

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