Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya

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Page 362
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारतके प्राचीन राजवंश तारीख ए फरिश्ता लिखा है':-- “युद्ध में लगे हुए घावोंके ठीक हो जाने पर कुतबुद्दीनने नहरवालेको घेरनेवाली फौजका बाली और डोलके रास्ते पीछा किया।” यहाँ पर बालीसे पालीका तात्पर्य समझना चाहिये । ताजुलम आसिरमें लिखा है। :-- "जब वह पाली और नाडोलके पास पहुँचा तो वहाँके किले उसे खाली मिले; क्योंकि मुसलमानोंको देखते ही वहाँके लोग भाग गये थे।" इससे अनुमान होता है कि कुछ समयके लिये उक्त प्रदेश चौहानोंको छोड़ने पड़े थे। __ आवपर्वतपरके अचलेश्वरके मन्दिरसे एक लेख मिला है। उसमें लिखा है कि गुहिल राजा जैत्रसिंहने नाडोलको नष्ट किया और तुरुष्क सेनाको हराया । यह जैत्रसिंह वि० सं० १२७० ( ई० स० १२१३) से १३०९ (ई० स० १२५२) तक विद्यमान था । इससे प्रकट होता है कि कुतुबुद्दीन जब पूर्वी मारवाड़ पर अपना अधिकार कर चुका था तब जैत्रसिंहने नाडोल पर हमला कर मुसलमानोंको हराया होगा। वि० सं० १२६५ और १२८३ के दो लेख बाली परगनेके नाणा और बेलार गाँवोंसे मिले हैं । इनसे प्रकट होता है कि उक्त समयके बीच गोड़वाड़ पर वीसधवलदेवके पुत्र धांधलदेवका राज्य था । यद्यपि यह चाहमानवंशी ही था, तथापि प्रो० डी० आर० भाण्डारकरका अनुमान है कि यह केल्हणका वंशज नहीं था। इसके उपर्युक्त वि० सं० १२८३ के लेखसे यह भी प्रकट होता है कि यह चौलुक्य अजयपालके पुत्र भीमदेव द्वितीयका सामन्त था । (R) Brgg's Faritets Vol. I, P. 196. (२) Elliot's History of India Vol. II, P. 229.30. (३) J. B. A. Soc., Vol. IV, P. 48. (8) Prog Rep-Arch. Surv. Ind. W. circle, for 1908' p. 49-50.. For Private and Personal Use Only

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