Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
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जालोरके सोनगरा चौहान ।
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प्रकट होता है कि कीर्तिपालने परमारोंसे जालोर छीना था । मूला नैणसीके लिखे इतिहाससे भी इस बातकी पुष्टि होती है।
२-समरसिंह। यह कीर्तिपालका बड़ा पुत्र और उत्तराधिकारी था।
इसके समयके वि० सं० १२३९ (ई० स० ११८२ ) और १२४२ ( ई० स० ११८५ ) के दो लेख जालोरसे मिले हैं।
पूर्वोक्त सूंघाके लेखसे प्रकट होता है कि इसने अपने पिताके प्रारम्भ किये दुर्गके कार्यको पूर्णतया समाप्त किया और समरपुर नामक नगर बसाया । इसने चन्द्रग्रहणके समय सुवर्णसे तुला-दान भी किया था।
वि० सं० १२६३ ( ई० स० १२०६ ) का चौलुक्य भीमदेव द्वितीयका एक लेख मिला है'। इसमें उक्त भीमदेवकी स्त्री लीलादेवी
को-"चाहु. राण समरसिंहसुता"..-चौहान समरसिंहकी कन्या लिखा है।
३-उदयसिंह। यह समरसिंहका छोटा पुत्र और मानवसिंहका छोटाभाई था। आबपर्वतसे मिले वि० सं० १३७७ के एक लेखमें मानवसिंहको समरसिंहका पुत्र और उदयसिंहका बड़ा भाई लिखा है । परन्तु मानवसिंहका विशेष वृत्तान्त नहीं मिलता। ___ सूधाके लेखमें लिखा है कि, यह नद्दल ( नाडोल ), जावालिपूर, ( जालोर ), माण्डव्यपुर ( मण्डोर ), वाग्भटमेरु ( पुराना बाड़मेर ), सूराचंद्र (सूराचन्द-सांचोर ), राटहृद ( गुढाके पासका प्रदेश ), खेड, रामसैन्य (रामसेन ), श्रीमाल ( भीनमाल ), रत्नपुर ( रतनपुरा) और सत्यपुर ( सांचोर ) का अधिपति था। (१) Ind. Ant. Vol. VI, p. 195. ( २ ) Ind. Ant. Vol. IX, p. 80.
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