Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya

View full book text
Previous | Next

Page 377
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जालोरके सोनगरा चौहान । अबुलफज़लने आईने अकबरीमें उक्त घटनाका वर्णन दिया है और साथ ही उक्त हिन्दू राजाका नाम मालदेव लिखा है । कर्नल टौडने भी अलाउद्दीन द्वारा जालोरके चौहान मालदेवको चित्तौरका सौंपा जाना लिखा है। मालदेवके तीनों पुत्रों से कीर्तिपाल (कीतू ) सम्भवतः राणपूरके खेका चौहान श्रीकीतुक ही होगा। ८-वनवीरदेव । मूता नैणसीकी ख्यातके लेखानुसार यह मालदेवका तीसरा पुत्र था। वि० सं० १३९४ ( ई० स० १३३७ ) का एक लेख कोट सोलंकियाँसे मिला है। इससे उस समय आसलपुरमें महाराजाधिराजश्रीवणवीरदेवका राज्य करना प्रकट होता है । परन्तु इसमें महाराणा हम्मीरका उल्लेख न होनेसे सम्भव है कि उस समय यह स्वाधीन हो गया हो। ९-रणवीरदेव । मूता नैणसीकी ख्यातमें वनवीरके पुत्रका नाम रणवीर या रणधीर लिखा है। - वि० सं० १४४३ ( ई० स० १३८६ ) का एक लेख नाडलाईसे मिला है । इससे उस समय नाडलाईपर चौहानवंशज महाराजाधिराजश्रीवणवीरदेवके पुत्र राजा श्रीरणवीरदेवका राज्य होना पाया जाता है । __ मूता नैणसीके लेखानुसार रणवीरके दो पुत्र थे-केलण और राजधर । इनमेंसे राजधर वि० सं० १४८२ में मारवाड़के राव रणमल्लके साथकी लड़ाईमें मारा गया । कर्नल टौडने भी अपने इतिहासमें उक्त घटनाका वर्णन किया है। (१) Annals & Antiquities of Rajsthan, Vol I, p. 248. (२) Bhavanagar Prakrit & Sanskrit Insoriptions. p. 114, (३) Ep. Ind., Vol. XI, p. 63, (४) Ep. Ind., Vol. XI. p. 67' ३१३ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386