Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
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भारतके प्राचीन राजवंश
किले पर आपका आधिकार करवा देंगे। जब यह सूचना हम्मीरको मिली नब उसने अपने कुटुम्बकी औरतोंको अग्निदेवके अर्पण कर दिया और उधरसे निश्चिन्त हो वह सेनासहित सुलतान पर टूट पड़ा । तथा भीषण संग्रामके बाद वीरगतिको प्राप्त हुआ ।"
अमीर खुसरोने तारीख अलाई नामकी पुस्तक लिखी है । इसका दूसरा नाम स्वजाहनुल फतूह भी है । इसके रचयिता खुसरोका जन्म हि० स० ६५१ (वि० स० १३१०-ई० स० १२५३) में और देहान्त हे ० सं० ७२५ ( वि० सं० १३८२-ई० स० १३२५ ) में हुआ था। उसमें लिखा है:
“ सुलतान अलाउद्दीनने रणथंभोरको घेर लिया । हिन्दू प्रत्येक बुर्जमेंसे अग्निवर्षा करने लगे। यह देख मुसलमानोंने अपने बचावके लिये रेतसे भरे बोरोंका शुस बनाया और मंजनीकोंसे किले पर मिट्टीके गोले फैंकना आरम्भ किया । बहुतसे नवीन बनाये हुए मुसलमान यवनसेनाको छोड़ हम्मीरकी सेनासे जा मिले । रज्जबसे जिल्काद महीने तक (वि० सं० १३५८ के चैत्रसे श्रावण-ई. स. १३०१ मार्चसे जुलाई ) नक सुलतानकी सेना किलेके नीचे डटी रही । परन्तु अन्तमें किलेमें यहाँ तक रसदकी कमी हुई कि चावल की कीमत सोनेसे भी दुगुनी हो नई । यह हालत देख हम्मीरदेवने एक पहाड़ी पर आग जलाकर अपनी स्त्रियों आदिको उसमें जला दिया और शाही फौज पर आक्रमण कर वीरगति प्राप्त की। यह घटना हि० स० ७०० के ३ जिल्काद (वि. सं. १३५८ श्रावण शुक्ला ५) की है। इसके बाद इस किलेपर मुसलमानोंका अधिकार हो गया और वहाँके बाहड़देव आदिके बनवाये हुए देवमन्दिर तोड़ डाले गये ।”
(१) E. H. I., Vol. III, P. 75-76.
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