Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya

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Page 349
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाडोल और जालोर के चौहान । पर चौलुक्य मूलदेवका और मेवाड़पर शक्तिकुमार या उसके पुत्र शुचि -- वर्माका अधिकार था । ये दोनों राजा लक्ष्मणसे अधिक प्रतापी थे । " राजस्थानमें यह भी लिखा है कि “ सुबुक्तगीनने नाडोलपर चढ़ाई की थी और शायद नाडोलवालोंने शहाबुद्दीनगोरीकी अधीनता स्वीकार कर ली थी। क्योंकि नाडोलसे मिले हुए सिक्कोंपर एक तरफ राजाका नाम और दूसरी तरफ सुलतानका नाम लिखा होता है । परन्तु यह बात भी सिद्ध नहीं होती । क्यों कि न तो सुबुक्तगीन ही लाहौर से आगे बढ़ा था, न उदयसिंह तक इन्होंने दिल्लीकी अधीनता ही स्वीकार की थी और न अभीतक इनका चलाया हुआ एक भी सिक्का किसीके देखनेमें आया है । यद्यपि इसके समयका एक भी लेख अभीतक नहीं मिला है, तथापि नाडोल में की सूरजपोल पर केल्हण के समयका वि० सं० १२२३ का लेख लगा है । इसमें प्रसंगवश लाखणका नाम, और समय वि० सं० १०३९ लिखा हुआ है' । उक्त सूरजपोल और नाडोलका किला इसीका बनाया हुआ समझा जाता है । इसका देहान्त वि० सं० १०४० के बाद शीघ्र ही हुआ होगा, क्योंकि सुंधा पहाड़ी परके मन्दिर के लेखमें लिखा है कि इसका पौत्र बलिराज मालवेके प्रसिद्ध राजा वाक्पतिराज द्वितीय (मुंज) का समकालीन था और उक्त परमार राजाका देहान्त वि० सं० १०५० और १०५६ के बीच हुआ था । इसके दो पुत्र थे, शोभित और विग्रहराज | २ - शोभित । यह लक्ष्मणका बड़ा पुत्र और उत्तराधिकारी था । इसका दूसरा नाम सोहिय भी था । सुंधा पहाड़ी परके लेखमें इसको आबूका जीतनेवाला लिखा है । यथा - " तस्माद्विमाद्रिभवनाथयशोपहारी श्रीशोभितोऽजनि नृपो ... " ( १ ) डायरैक्टर जनरलकी १९०७-८ की रिपोर्ट जिल्द २ पेज १२८. २८५ For Private and Personal Use Only

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