Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
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भारतके प्राचीन राजवंश
३-बलिराज । यह शोभितका पुत्र और उत्तराधिकारी था।
सूंधा पहाड़ीके लेखमें लिखा है:--"...ऽस्य तनूद्भवोथ । गांभीर्यधैर्यसदनं व( ब )लिराजदेवो यो मुञ्जराजव( ब )लभंगमचीकरत्तं ॥ ७ ॥"
अर्थात् बलिराजने मुंजकी सेनाको हराया।
यह मुंज मालवेका प्रसिद्ध परमार राजा ही होना चाहिये । हyडीके लेखसे पता चलता है कि जिस समय मालवेके परमार राजा मुञ्जने मेवाड़पर चढ़ाई की थी, उस समय हyडीके राठोड-वंशी राजा धवलने मेवाड़वालोंकी सहायता की थी । शायद पड़ोसी होने के कारण इसी युद्धमें बलिराज भी धवलके साथ मेवाड़की सहायतार्थ गया होगा और उपर्युक्त श्लोकका तात्पर्य भी सम्भवतः इसी युद्धसे होगा।
४-विग्रहपाल । यह लक्ष्मणका पुत्र और शोभितका छोटा भाई था । अपने भतीजे बलिराजके पीछे राज्यका स्वामी हुआ । परन्तु उपर्युक्त सूंधा पहाडीके लेखमें इसका नाम नहीं है । उसमें बलिराजके बाद उसके भतीजे महीन्दुका और उसके पीछे उसके पुत्र अश्वपाल और पौत्र अहिलका होना लिखा है । परन्तु पण्डित गौरीशंकर ओझाने नाडोलसे मिले वि० सं० १२१८ के दो ताम्रपत्रोंसे इसका नाम उद्धृत किया है। ये ताम्रपत्र सूंधा पहाड़ीके लेखसे १०१ वर्ष पूर्वके होनेसे अधिक विश्वासयोग्य हैं।
५-महेन्द्र (महीन्दु)। यह विग्रहपालका पुत्र था।
उपर्युक्त सूंधाके लेखमें इसका नाम महीन्दु लिखा है और इसे बलिराजका उत्तराधिकारी माना है । (१) J. B. As. Soc., Vol. LXII. p. 311.
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