Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya

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Page 353
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाडोल और जालोरके चौहान । - हिं० स० ४५४ (वि० स० १०८०-ई० स० १०२३) में महमूद गजनवीने सोमनाथ पर चढ़ाई की थी। उस समय वह नाडोलके मार्गसे अणहिलवाड़े होता हुआ सोमनाथ पहुँचा होगा । यह बात टौड कृत राजस्थानसे भी सिद्ध होती है। __ नाडोलमें दो शिवमन्दिर हैं। इनमेंसे एक आसलेश्वर (आसापालेश्वर ) का और दूसरा अणहिलेश्वरका मन्दिर कहलाता है, अतः पहला सूधाके लेखके अश्वपालका और दूसरा इस अणहिलका बनवाया हुआ होगा। रायबहादुर पं. गौरीशंकर ओझाका अनुमान है कि यह अश्वपाल शायद विग्रहराजका ही दूसरा नाम होगा और लेखमें गलतीसे आगे पीछे लिख दिया गया होगा। प्रोफेसर डी० आर० भाण्डारकरने अपने लेखमें सूंधाके लेखके आधार पर महेन्द्रके बाद अश्वपाल, अहिल और अणहिलका क्रमशः राजा होना माना है, परन्तु जब तक और कोई प्रमाण न मिले तब तक इस विषयमें निश्चयपूर्वक कुछ नहीं कहा जा सकता। अणहिलके दो पुत्र थे---बालप्रसाद और जेन्द्रराज । ७-बालप्रसाद । यह अणहिलका पुत्र और उत्तराधिकारी था। इसने भीमदेव प्रथमको मजबूर करके उससे कृष्णदेवको छुड़वा दिया था। प्रोफेसर कीलहान साहबके मतानुसार इस कृष्णदेवसे आबूके परमार राजा धंधुकके पुत्र कृष्णराज द्वितीयका तात्पर्य है। नाडोलके एक ताम्रपत्रमें बालप्रसादका नाम नहीं है, परन्तु दूसरे ताम्रपत्रमें और सुंधाके लेखमें इसका नाम दिया है। ८-जेन्द्रराज। यह अणहिलका पुत्र और अपने बड़े भाई बालप्रसादका उत्तराधिकारी था। सुंधाके लेखमें इसका नाम जिंदुराज लिखा है और उससे (१) राजस्थान भाग १, पत्र ६५६ । २८२ १९ For Private and Personal Use Only

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