Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
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भारतके प्राचीन राजवंश
कर लिया गया। जब वह ५-६ महीनेमें ठीक हुआ तब सुलतानने उससे कहा कि यदि वह मुसलमानी धर्म ग्रहण कर ले तो उसे उसका राज्य लौटा दिया जाय । परन्तु उस वीरने राज्यके लोभमें आ धर्म छोड़ना अङ्गीकार नहीं किया । इस पर वह अपने प्रधान डूंगरसी सहित मार डाला गया। __ फरिश्तासे पाया जाता है कि ऊपर लिखे समयसे तीन दिन पूर्व ही उक्त किला सुलतानके अधिकारमें आ गया था । ___ जयसिंहदेवके तीन पुत्र थे-रायसिंह, लिंबा और तेजसिंह । इनमेंसे बड़े पुत्र रायसिंहका तो अपने पिताकी विद्यमानताहीमें देहान्त हो चुका था, दूसरा पुत्र उपर्युक्त घटनाके समय भागकर कहीं चला गया और तीसरा पुत्र मुसलमानों द्वारा पकड़ा जाकर जबरदस्ती मुसलमान बना लिया गया। मिराते सिकंदरीमें लिखा है:--
“पताई रावल (जयसिंह) के एक पुत्र और दो पुत्रियाँ थीं । पुत्र तो मुसलमान बनाया गया और पुत्रियाँ सुलतानके हरममें भेज दी गई।"
रायसिंहके दो पुत्र थे। पृथ्वीराज और डूंगरसिंह । इन्होंने नर्मदाके उत्तरी प्रदेशमें जाकर राजपीपला और गोधराके बीचके देश पर अपना अधिकार जमाया और उसे आपसमें बाँट लिया। __ पृथ्वीराजने मोहन ( छोटा उदयपुर ) में और डूंगरसिंहने बरियामें अपना राज्य कायम किया । इन्हीके वंशज अभी तक उक्त देशोंके अधिपति हैं।
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