Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
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भारतके प्राचीन राजवंश
इसके मिश्रधातुके सिक्कों पर एक तरफ " राज्ञो महाक्षत्रपस रुद्रसीहस” और दूसरी तरफ श० स० ११' x लिखा मिलता है। ___ इस रुद्रसिंहके समयके दो लेख भी मिले हैं। इनमेंसे एक श० सं० १०३ की वैशाख शुक्ला पञ्चमीका है । यह गुंडा ( काठियावाड़) में मिला है । इसमें इसकी उपाधि क्षत्रप लिखी है । दूसरा लेख चैत्र शुक्ला पञ्चमीका है । यह जूनागढ़में मिला है और इसका संवत् टूट गया है। इस लेखमें राजाका नाम नहीं लिखा । केवल जयदामाके पौत्रका उल्लेख है । अतः पूरी तौरसे नहीं कह सकते कि यह लेख इसीका है. या इसके भाई दामजदका है। इसके तीन पुत्र थे। रुद्रसेन, संघदामा और दामसेन ।
सत्यदामा। [सम्भवतः श० सं० ११९-१२० (ई. स. १९७
१९८-वि० सं० २५४-२५५)] यह दामजदश्री प्रथमका पुत्र था।
इसके क्षत्रप उपाधिवाले चाँदीके सिक्के मिले हैं। इन पर एक तरफ़ “ राज्ञो महाक्षत्रपस्य दामजदश्रिय पुत्रस्य राज्ञो क्षत्रपस्य सत्यदाम्न" लिखा रहता है । यह लेख करीब करीब संस्कृत-रूपसे मिलता हुआ है। इन सिक्कोंके दूसरी तरफ शक-संवत् लिखा होता है । परन्तु अब तक एक सौके अगले अङ्क नहीं पढ़े गये हैं। ___ सत्यदामाके सिक्कोंकी लेख-प्रणालीसे अनुमान होता है कि या तो यह अपने पिता दामजदश्री प्रथमके महाक्षत्रप होनेके समय क्षत्रप था या अपने भाई जीवदामाके प्रथम बार महाक्षत्रप होनेके समय ।
(१) यह अङ्क स्पष्ट नहीं पढ़ा जाता है। (२) Ind. Ant, Vol. x, P. 157, (३) J. R. A.S., 1890, P. 651,
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