Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
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भारतके प्राचीन राजवंश
नारायणवर्मा महासामन्ताधिपति था । इसी ताम्रपत्रसे राजा धर्मपालका बत्तीस वर्षसे अधिक राज्य करना पाया जाता है। इसके पीछेके राजा..
ओंमें त्रिभुवनपालका नाम नहीं मिलता । इसलिए या तो वह धर्मपालके पहले ही मर गया होगा, या वहीं राजासन पर बैठनेके बाद, देवपाल नामसे प्रसिद्ध हुआ होगा। यह देवपाल धर्मपालके छोटे भाई वाक्पालका लड़का था। इसके छोटे भाईका नाम जयपाल था । धर्मपालकी तरफसे उसका छोटा भाई वाकपाल दूर दूरकी लड़ाइयोंमें सेनापति बनकर जाया करता था। धर्मपालका मुख्य सलाहकार शाण्डिल्यगोत्रका गर्म नामक ब्राह्मण थी।
५-देवपाल । यह धर्मपालके छोटे भाई वाकपालका ज्येष्ठ पुत्र और धर्मपालका उत्तराधिकारी था । इसके राज्यके तेतीस वर्षका एक ताम्रपत्र मुगरमें मिला है। उसमें इसे धर्मपालका पुत्र लिखा है । उसीमें यह भी लिखा है कि विन्ध्य-पर्वतसे काम्बोज तकके देशोंको इसने जीता था और हिमालयसे रामसेतु तकके देशों पर इसका राज्य था । उस समय इसका पुत्र राज्यपाल इसका युवराज था । परन्तु नारायणपालके समयके भागलपुरके एक ताम्रपत्र में देवपालको धर्मपालका भतीजा लिखा है । इसका कारण शायद यह होगा कि देवपालको धर्मपालने गोद ले लिया होगा। क्योंकि अपने पुत्रके न होने पर अपने भाई अथवा किसी नजदीकी सम्बन्धीके पुत्रको अपने जीते जी गोद लेकर युवराज बना लेनेकी प्रथा देशी राज्योंमें अब तक प्रचलित है । गोद लिया हुआ पुत्र गोद लेनेवालेका ही पुत्र कहलाता है।
(१) Ind. Ant., Vol. XV, p. 305, (२) Badul P. M. (३)A R. vol. I, p. 1:3, and Ind. Ant., Vol. XXI, p. 254.
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