Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
चौहान-वंश।
३२-हरिराज। यह पृथ्वीराजका छोटा भाई था और अपने भतीजे गोविंदराजसे राज्य छीनकर गद्दीपर बैठा था। ताजुलम आसिरमें लिखा है:
“रणथंभोरसे किवामुलमुल्क रूहद्दीन (रुक्नुद्दीन) हम्जाने कुतबुद्दीनको खबर दी कि अजमेरके राय ( पृथ्वीराज) का भाई हीराज ( हरिराज) बागी हो गया है और रणथंभोर लेनेको आ रहा है । तथा पिथोरा ( पृथ्वीराज ) का बेटा; जो शाही हिफाजतमें है, इस समय संकटमें है । यह खबर पाते ही कुतबुद्दीन रणथंभोरकी तरफ चला । इससे हीराज ( हरिराज ) को भाग जाना पड़ा । कुतबुद्दीनने रणथंभोरमें पिथोरा (पृथ्वीराज ) के पुत्रको खिलअत दिया और उसने एवजमें बहुतसा द्रव्य उसकी भेट किया।" ___ ईलियट साहबने आगे चलकर अनुवादमें लिखा है कि___ “हिजरी सन् ५८९ ( ई० स० ११९३-वि० सं० १२५०) में अजमेरके राजा हीराजने अभिमानसे बगावतका झंडा खड़ा किया और चतर (जिहतर ) ने सेनासहित दिल्लीकी तरफ कूच किया । जब यह हाल खुसरो (कुतबुद्दीन ) को मालूम हुआ तब उसने अजमेरपर चढ़ाई की। गरमीकी अधिकताके कारण रात्रिमें यात्रा करनी पड़ती थी। खुसरोके आगमनका वृत्तान्त सुन चतर भाग कर अजमेरके किलेमें चला गया और वहीं पर जल मरा । इसपर कुतबुद्दीनने उस किलेपर अधिकार कर लिया और अजमेरपर कब्जा कर वहाँके मन्दिर आदि तुड़वा डाले । अन्तमें कुतबुद्दीन दिल्लीको लौट गयो ।”
तारीख फरिश्तामें लिखा है:(१) E. H. I. Vol. II, p. 219-220, (7) Elliot's History of India, Vol. II, p. 225-26.
२६१
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386