Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
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चौहान-वंश ।
३१-पृथ्वीराज (तृतीय)। यह सोमेश्वरका पुत्र और उत्तराधिकारी था । सोमेश्वरके देहान्तके समय इसकी अवस्था छोटी थी । अतः राज्यका प्रवन्ध इसकी माता कर्पूरदेवीने अपने हाथमें ले लिया था और वह अपने मन्त्री कदम्ब वेमकी सहायतासे राज-काज किया करती थी।
यह पृथ्वीराज बड़ा वीर और प्रतापी राजा था।
इसने गुजरातके राजाको हराया और वि० सं० १२३९ ( ई० स० ११८२) में महोबा (बुंदेलखंड) के चंदेल राजा परमर्दिदेव पर चढ़ाई कर उसे परास्त किया।
पृथ्वीराजरासाके महोबाखंडसे ज्ञात होता है कि परमर्दिदेवके सेनापति आला और ऊदलने इस युद्ध में बड़ी वीरता दिखाई और इसी युद्ध में ये दोनों मारे गये । इस विषयके गीत अबतक बुंदेलखण्डके आसपासके प्रदेशमें गाये जाते हैं।
हम्मीर महाकाव्यमें लिखा है कि “ जिस समय पृथ्वीराज न्यायपूर्वक प्रजाका पालन कर रहा था उस समय शहाबुद्दीन गोरीने पृथ्वीपर अपना अधिकार जमाना प्रारम्भ किया । उसके दुःखसे दुखित हो पश्चिमके सब राजा गोविन्दराजके पुत्र चंद्रराजको अपना मुखिया बना पृथ्वीराजके पास आये और उन्होंने एक हाथी भेटकर सारा वृत्तान्त कह सुनाया । इस पर पृथ्वीराजने उन्हें धीरज दिया और अपनी सेना सजाकर मुलतानकी तरफ प्रयाण किया । इस पर शहाबुद्दीन गोरी इससे लड़नेको सामने आया । भीषण संग्रामके बाद शहाबुद्दीन पकड़ा गया । परन्तु पृथ्वीराजने दयाकर उसे छोड़ दिया ।"
तबकाते नासिरीमें लिखा है:"सुलतान शहाबुद्दीन सरहिंदका किला फतह कर गजनीको लौट गया और उक्त किला काजी जियाउद्दीनको सौंप गया। रायकोला पिथोरः
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