Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya

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Page 300
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारतके प्राचीन राजवंश सिद्धराज जयसिंहकी कन्या कांचनदेवी और तीसरी सोलंकी राजा कुमारपालकी बहन देवल देवी । इनमेंसे पहली रानीसे इसके दो पुत्र हुए । जगदेव और वीसलदेव ( विग्रहराज ) तथा दूसरी रानीसे एक, पुत्र सोमेश्वर हुआ। अर्णोराजने अजमेर में ' आना-सागर' नामक तालाव बनवाया। सिद्धराज जयसिंहने अर्णोराजपर हमला किया था। परन्तु अन्तमें उसे अपनी कन्या कांचनदेवीका विवाह अर्णोराजके साथकर मैत्री करनी पड़ी। सिद्धराजकी मृत्युके बाद अर्णोराजने गुजरातपर चढ़ाई की, परन्तु इसमें इसे सफलता नहीं हुई। इसका बदला लेनेके लिए वि० स० १२०७ ( ई० स ११५० ) के आसपास गुजरातके राजा कुमारपालने पीछा इसके राज्य पर हमला किया और इस युद्ध में अर्णोराजको हार माननी पड़ी । यद्यपि इस विषयका वृत्तान्त चौहानोंके लेखों आदिमें नहीं मिलता है, तथापि गुजरातके ऐतिहासिक ग्रन्थों में इसका वर्णन दिया हुआ है। . प्रबन्ध-चिन्तामणिमें लिखा है: " कुमारपाल स्वेच्छानुसार राज्यप्रबन्ध करता था। इससे उसके बहुतसे उच्च कर्मचारी उससे अप्रसन्न हो गये । उनमेंसे अमात्य वाग्भटका छोटाभाई आहड ( चाहड या आरभट ); जिसको सिद्धराज जयसिंह अपने पुत्रके समान समझता था, कुमारपालको छोड़ कर सपादलक्षके चौहानराजा आनाकके पास चला गया और मौका पाकर उसको गुजरात पर चढ़ा ले गया । जब इस चढाईका हाल कुमारपालको मालूम हुआ तब उसने भी सेना लेकर उसका सामना किया । परन्तु आहड़ने उसके सैनिकोंको धन देकर पहले ही अपनी तरफ मिला लिया था। इससे कुमारपालकी आज्ञाके विना ही वे लोग पाठ दिखाकर भागने लगे। अपनी सैन्यकी यह दशा देख कुमारपालको २४० For Private and Personal Use Only

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