Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
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भारतके प्राचीन राजवंश
२०-चामुण्डराज । __ यह वीर्यरामका छोटाभाई और उत्तराधिकारी था। यद्यपि पृथ्वीराजविजयमें इसके राजा होनेका उल्लेख नहीं है, तथापि बीजोल्याके लेख, हम्मीरमहाकाव्य और प्रबन्धकोशकी वंशावलीसे इसका राजा होना सिद्ध है। ___ पृथ्वीराज-विजयसे यह भी विदित होता है कि नरवरमें इसने एक विष्णुमन्दिर बनवाया था। इसने हाजिमुद्दीनको बन्दी बनाया।
२१-दुर्लभराज (तृतीय)। यह चामुण्डराजका उत्तराधिकारी था। इसको दूसल भी कहते थे। यद्यपि बीजोल्याके लेखमें चामुण्डराजके उत्तराधिकारीका नाम सिंहट लिखा है, तथापि अन्य वंशावलियोंमें उक्त नामके न मिलनेके कारण सम्भव है कि यह सिंहभट शब्दका अपभ्रंश हो और विशेषणकी तरह काममें लाया गया हो।
पृथ्वीराज-विजयमें लिखा है कि इसने मालवेके राजा उदयादित्यकी सहायतामें घुड़सवार सेना लेकर गुजरात पर चढ़ाई की और वहाँके सोलंकी राजा कर्णको मार डाला।
यह दुर्लभ मेवाड़के रावल वैरिसिंघसे लड़ते समय मारा गया था। हम्मीर-महाकाव्यमें दुर्लभके उत्तराधिकारीका नाम दूसल लिखा है। परंतु यह ठीक नहीं है। क्यों कि यह तो इसीका दूसरा नाम था और वास्तवमें देखा जाय तो यह इसीके नामका प्राकृत रूपान्तर मात्र है। इसी काव्यमें दूसलका गुजरातके राजा कर्णको मारना लिखा है। परन्तु गुजरातके लेखकोंने इस विषयमें कुछ नहीं लिखा है । केवल हेमचन्द्रने अपने व्याश्रयकाव्यमें इतना लिखा है कि, कर्णने विष्णुके ध्यानमें लीन
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