Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
हैहय वंश |
प्रसिद्धि और सद्गुणों के कारण विज्जलने अपना प्रधान, सेनापति और कोषाध्यक्ष नियत किया, तथा अपनी पुत्री नीललोचनाका विवाह उसके -साथ कर दिया । उससमय अपने मत के प्रचारार्थ उपदेशों के लिये बसवने राज्यका बहुतसा द्रव्य खर्च करना प्रारम्भ किया। यह खबर बसवके शत्रुके दूसरे प्रधानने विज्जलको दी; जिससे बसवसे विज्जल अप्रसन्न हो गया । तथा इनके आपसका मनोमालिन्य प्रतिदिन बढ़ता ही गया । यहाँ तक नौबत पहुँची कि एक दिन विज्जलदेवने, हल्लेइज और मधुवेय्य नामके दो धर्मनिष्ठ जंगमोंकी आँखें निकलवा डालीं । यह हाल देख बसव कल्याणसे भाग गया । परन्तु उसके भेजे हुए जगदेव नामक पुरुषने अपने दो मित्रों सहित राजमन्दिर में घुसकर सभा के बीच में बैठे हुए विज्जलको मार डाला । यह खबर सुनकर बसव कुण्डलीसंगमेश्वर नामक स्थानमें गया। वहीं पर वह शिवमें लय हो गया । बसवकी अविवाहिता बहिन नागलांविकासे चन्नबसवका जन्म हुआ । इसने लिंगायत मतकी उन्नति की । ( लिंगायत लोग इसको शिवका अवतार मानते हैं । ) सवके देहान्त के बाद वह उत्तरी कनाडा देश के उल्वी स्थान में जा रहा । " " चन्नबसव पुराण ' में लिखा है:
-
“वर्तमान शक सं० ७०७ (वि० सं० ८४१ ) में बसव, शिवमें लय हो गया । ( यह संवत् सर्वथा कपोलकल्पित है ।) उसके बाद उसके स्थान पर विज्जलने चन्नबसवको नियत किया । एक समय हल्लेइज और मधुवेय्य नामक जङ्गमोंको रस्सीसे बँधबाकर विज्जलने पृथ्वीपर घसीटवाए; जिससे उनके प्राण निकल गये । यह हाल देख जगदेव और बोम्मण नामके दो मशालचियोंने राजाको मार डाला । उससमय चन्नबसव भी कितने ही सवारों और पैदलोंके साथ कल्याणसे भागकर उल्वी नामक स्थान में चला आया । विज्जलके दामादने उसका पीछा किया, परन्तु वह हार गया । उसके बाद विज्जलके पुत्र ने चढ़ाई की । किन्तु
६३
For Private and Personal Use Only