Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
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भारतके प्राचीन राजवंश
भी इसका उल्लेख पाया जाता है । जैसे-होयशल (यादव) राजा बल्लाल प्रथमकी तीनों रानियाँ गाने और नाचनेमें बड़ी कुशल थीं। इनके नाम पदमलदेवी, चावलिदेवी और बोप्पदेवी थे। बल्लालका पुत्र विष्णुवर्धन और उसकी रानी शान्तलदेवी, दोनों, गाने, बजाने और नाचने में बड़े निपुण थे। __ सोमेश्वरके समयका सबसे पिछला लेख (वर्तमान ) श० सं० १०९९ (वि० सं० १२३३) का मिला है। यह लेख उसके राज्यके दसवें वर्षमें लिखा गया था। उसी वर्षमें उसका देहान्त होना सम्भव है।
५-संकम (निश्शंकमल्ल) यह सोमेश्वरका छोटा भाई था, तथा उसके पीछे उसका उत्तराधिकारी हुआ । इसको निश्शंकमल्ल भी कहते थे । सङ्कमके नामके साथ भी वे ही खिताब लिखे मिलते हैं, जो खिताब सोमेश्वरके नामके साथ हैं। __ (वर्तमान ) श० सं० ११०३ (वि० स०१२३७ ) के लेखमें संकमके राज्यका पाँचवाँ वर्ष लिखा है।
६-आहवमल्ल। यह सङ्कमका छोटा भाई था और उसके बाद गद्दी पर बैठा। इसके नामके साथ भी वे ही पूर्वोक्त सोमेश्वरवाले खिताब लगे हैं । (वर्तमान) श० सं० ११०३ से ११०६ (वि० सं० १२३७ से १२४०) तकके आहवमलके समयके लेख मिले है।
७-सिंघण । यह आहवमल्लका छोटा भाई और उत्तराधिकारी था। श० सं० ११०५ (वि० सं० १२४० ) का सिंघ के समयका एक ताम्रपत्र मिला है।
(, Shravan Belgola inscriptions. No. 56.
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