Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
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भारतके प्राचीन राजवंश
वह कैद कर लिया गया । तदनन्तर नागलांबिकाकी सलाहसे मरी हुई सेनाको चन्नबसवने पीछे जीवित कर दिया, तथा नये राजाको विज्जलकी तरह जङ्गमौको न सताने और धर्ममार्ग पर चलनेका उपदेश देकर कल्याणको भेज दिया ।" 'विज्जलराय-चरित' में लिखा है:
"बसवकी बहिन बड़ी ही रूपवती थी। उसको विज्जलने अपनी पासवान ( अविवाहिता स्त्री) बनाई । इसी कारण बसव विज्जलके राज्यमें उच्च पदको पहुँचा था ।" इसी पुस्तकमें बसव और विज्जलके देहान्तके विषयमें लिखा है कि “ राजा विज्जल और बसबके बीच द्वोपग्नि भड़कनेके बाद, राजाने कोल्हापुर ( सिल्हारा ) के महामण्डलेश्वर पर चढ़ाई की । वहाँसे लौटते समय मार्गमें एक दिन राजा अपने खेमेमें बैठा था, उस समय एक जङ्गम जैन साधुका वेष धारणकर उपस्थित हुआ, एक फल उसने राजाको नजर किया । उस साधुसे वह फल लेकर राजाने सूंघा; जिससे उस पर विषका प्रभाव पड़ गया और उसीसे उसका देहान्त हो गया। परन्तु मरते समय राजाने अपने पुत्र इम्मडिविज्जल (दूसरा विज्जल) से कह दिया कि, यह कार्य बसवका है, अतः तू उसको मार डालना । इस पर इम्मडिविज्जलने बसवको पकड़ने और जङ्गमोंको मार डालनेकी आज्ञा दी। यह खबर पाते ही कुएँमें गिर कर बसबने आत्महत्या कर ली, तथा उसकी स्त्री नीलांबाने विष भक्षण कर लिया । इस तरह नवीन राजाका क्रोध शान्त होने पर चन्नबसवने अपने मामा बसवका द्रव्य राजाके नजर कर दिया। इससे प्रसन्न होकर उसने चन्नबसवको अपना प्रधान बना लिया ।” __ यद्यपि पूर्वोक्त पुस्तकोंके वृत्तान्तोंमें सत्यासत्यका निर्णय करना कठिन है तथापि सम्भवतः बसव और बिज्जलके बीचका द्वेष ही उन दोनोंके नाशका कारण हुआ होगा । विज्जलदेवके पाँच पुत्र थे-सोमेश्वर ( सोविदेव ),
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