Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
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भारतके प्राचीन राजवंश
काव्य । चम्पूरामायण या भोजचम्पूका कुछ भाग, महाकालीविजय, युक्तिकल्पतरु, विद्याविनोद और शृङ्गारमञ्जरी ( गद्य ) ।
प्राकृतकाव्य । दो प्राकृत काव्य, जो अभी कुछ ही समय हुआ धारामें मिले हैं ।
व्याकरण । प्राकृत-व्याकरण । वैद्यक | विश्रान्तविद्याविनोद और आयुर्वेद सर्वस्व । शैवमत । तत्त्वप्रकाश और शिवतत्त्वरत्नकलिका ।
संस्कृतकोष | नाममाला |
शालिहोत्र, शब्दानुशासन, सिद्धान्तसंग्रह और सुभाषितप्रबन्ध | ओफरेक्टस ( Aufrechts ) की बड़ी सूची ( Catalogus Catologorum ) में भोजके बनाये हुए २३ ग्रन्थोंके नाम हैं ।
इन पुस्तकों में से कितनी भोजकी बनाई हुई हैं, यह तो ठीक ठीक नहीं मालूम; परन्तु धर्मशास्त्र, ज्योतिष, वैद्यक, कोष, व्याकरण आदिके कई लेखकोंने भोजके नामसे प्रसिद्ध ग्रन्थोंसे श्लोक उद्धृत किये हैं । इससे प्रकट होता है कि भोजने अवश्य ही इन विषयों पर ग्रन्थ लिखे थे ।
ओफरेक्टसने लिखा है कि बौद्ध लेखक दशबलने अपने बनाये प्रायश्चित्तविवेक में और विज्ञानेश्वरने मिताक्षरामें भोजको धर्मशास्त्रका लेखक कहा है । भावप्रकाश और माधवकृत रोगविनिश्चयमें भोज आयुर्वेदसम्बन्धी ग्रन्थोंका रचयिता माना गया है । केशवार्कने भोजको ज्योतिषका लेखक बताया है | कृष्णस्वामी, सायन और महीपने भोजको एक व्याकरणग्रन्थका कर्ता और कोषकार कहा है । चित्तप, दिवेश्वर, विनायक, शङ्करसरस्वती और कुटुम्बदुहितृने इसे एक श्रेष्ठ कवि स्वीकार किया है । विद्वानोंमें यह भी प्रसिद्धि है कि हनुमन्नाटक पहले शिलाओं पर खुदा हुआ था और समुद्रमें फेंक दिया गया था । उसको भोजने ही समुद्र से निकलवाया था ।
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