Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
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भारतके प्राचीन राजवंश
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कर्णाट, लाट, काश्मीर और कलिंगकी स्त्रियोंसे विलास करनेवाला, तथा अनेक देश विजय करनेवाला, लिखा है । परन्तु विजित देश या राजाका नाम नहीं दिया है । अतएव इसकी विजयवार्तापर पूरा विश्वास नहीं हो सकता। __ केयूरवर्ष और चन्देलराजा यशोवर्मा, समकालीन थे। खजुराहोके लेखसे पाया जाता है कि, यशोवर्माने असंख्य सेनावाले चेदीके राजाको युद्ध में परास्त किया था। अतएव केयूरवर्षका यशोवर्मासे हारना संभव है।
इसकी रानीका नाम नोहला था। उसने बिल्हारीमें नोहलेश्वर नामक शिवका मंदिर बनवाया, और धटपाटक, पोण्डी ( बिल्हारीसे ४ मील), नागवल, खैलपाटक (खैलवार, बिल्हारीसे ६ मील) बीड़ा, सज्जाहलि और गोष्ठपाली गाँव उसके अर्पण किये । तथा पवनशिवके प्रशिष्य और शब्दशिवके शिष्य, ईश्वरशिव नामक तपस्वीको निपानिय और अंबिपाटक, दो गाँव दिये।
यह शैवमतका साधु था; शायद इसको नोहलेश्वरका मठाधिपति किया हो । योहला चौलुक्य अवनीतवर्माकी पुत्री, सधन्वकी पोती और सिंहवर्माकी परपोती थी। उसकी पुत्री कंडक देवीका विवाह दक्षिणके राष्ट्रकूट (राठोड़ ) राजा अमोघवर्ष तीसरे (बदिग ) से हुआ था, जिसने वि० सं० ९९० और ९९9 के बीच कुछ समय तक राज्य किया था; और जिससे खोट्टिगका जन्म हुआ ।
केयूरवर्षके नोहलासे लक्ष्मण नामक पुत्र हुआ, जो इसका उत्तराधिकारी था।
५-लक्ष्मण। इसने वैद्यनाथके मठ पर हृदयशिवको और नोहलेश्वरके मठ पर उसके शिष्य अघोराशिवको नियत किया । इन साधुओंकी शिष्यपरंपरा बिल्हा
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