Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
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हैहय-वंश।
२-मुग्धतुंग। बिल्हारीके लेखमें लिखा है कि, कोकल्लके पीछे उसका पुत्र मुग्धतुंग और उसके बाद उसका पुत्र केयूरवर्ष राज्य पर बैठा; जिसका दूसरा नाम युवराज था । परन्तु बनारसके दानपत्रेसे पाया जाता है कि कोकल्लदेवका उत्तराधिकारी उसका पुत्र प्रसिद्धधवल हुआ; जिसके बालहर्ष और युवराजदेव नामक दो पुत्र हुए; जो इसके बाद क्रमशः गद्दी पर बैठे।
इन दोनों लेखोंसे पाया जाता है कि प्रसिद्धधवल, मुग्धतुंगका उपनाम था।
पूर्वोक्त बिल्हारीके लेखमें लिखा है कि मुग्धतुंगने पूर्वीय समुद्रतटके देश विजय किये, और कोसलके राजासे पाली छीन लिया । इस कोसलका अभिप्राय, दक्षिण कोसलसे होना चाहिये । और पाली, या तो किसी देशविभागका अथवा विचित्रध्वजका नाम हो; जो पालीध्वज कहलाता था; और बहुधा राजाओंके साथ रहता था। ऐसा प्राचीन लेखोंसे पाया जाता है। इसका उत्तराधिकारी इसका पुत्र बालहर्ष हुआ।
३-बालहषे । यद्यपि इसका नाम बिल्हारीके लेखमें नहीं दिया है; परन्तु बनारसके ताम्रपत्रसे इसका राज्यपर बैठना स्पष्ट प्रतीत होता है । बालहर्षका उत्तराधिकारी उसका छोटा भाई युवराजदेव हुआ।
४-केयूरवर्ष (युवराजदेव)। इसका दूसरा नाम युवराजदेव था । बिल्हारीके लेखमें, इसका गौड़, (१) Ep. Ind. vol I, P. 257. (२) Ep. Ind. vol. II, P. 307. (३) Ep. Ind. vol. I, P. 25 6.
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