Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
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भारतके प्राचीन राजवंश
सं० १२१२) का मिला है' । अतः गयकर्णदेवका देहान्त वि० सं० १२०८ और १२१२ के बीच हुआ होगा।
१३-नरसिंहदेव । चे० सं० ९०२ (वि० सं० १२०८) के पूर्व ही यह अपने पिता द्वारा युवराज बनाया गया था ।
पृथ्वीराजविजय महाकाव्यमें लिखा है कि " प्रधानों द्वारा गद्दीपर बिठलाए जानेके पूर्व अजमेरके चौहान राजा पृथ्वीराजका पिता सोमेश्वर विदेशमें रहता था। सोमेश्वरको उसके नाना जयसिंह ( गुजरातके सिद्धराज जयसिंह) ने शिक्षा दी थी। वह एक बार चेदिकी राजधानी त्रिपुरीमें गया, जहाँपर इसका विवाह वहाँके राजाकी कन्या कर्पूरदेवीके साथ हुआ । उससे सोमेश्वरके दो पुत्र उत्पन्न हुए। पृथ्वीराज
और हरिराज । " यद्यपि उक्त महाकाव्यमें चेदिके राजाका नाम नहीं है; तथापि सोमेश्वरके राज्याभिषेक सं० १२२६ और देहान्त सं० १२३६ को देखकर अनुमान होता है कि शायद पूर्वोक्त कर्पूरदेवी नरसिंहदेवकी पुत्री होगी । जनश्रुतिसे ऐसी प्रसिद्धि है कि, दिल्लकि तँवर राजा अनङ्गपालकी पुत्रीसे सोमेश्वरका विवाह हुआ था । उसी कन्यासे प्रसिद्ध पृथ्वीराजका जन्म हुआ । तथा वह अपने नानाके यहाँ दिली गोद गया । परन्तु यह कथा सर्वथा निर्मूल है । क्योंकि दिल्लीका राज्य तो सोमेश्वरसे भी पूर्व अजमेर के अधीन हो चुका था। तब एक सामन्तके यहाँ राजाका गोद जाना सम्भव नहीं हो सकता।
ग्वालियरके तँवर राजा वीरमके दरबारमें नयचन्द्रसरि नामक कवि रहता था। उसने वि० सं० १५०० के करीब हम्मीर महाकाव्य बनाया। इस काव्यमें भी पृथ्वीराजके दिल्ली गोद जानेका कोई उल्लेख नहीं है।
अनुमान होता है कि शायद पृथ्वीराजरासोके रचयिताने इस कथाकी कल्पना कर ली होगी। (१) Ep. Ind.Vol. 11, P. I0.
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