Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
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क्षत्रप-वंश ।
और राज्य-वर्षों के लिखनेकी प्रणाली आभीर'-राजाओंसे मिलती है, जिन्होंने नासिकके आन्ध्र राजाओंके राज्यपर अधिकार कर लिया था । परन्तु इसके नामके आगे महाक्षत्रपकी उपाधि लगी होनेसे अनुमान होता है कि शायद इसने क्षत्रपोंके राज्य पर हमला कर विजय प्राप्त की हो; ' जैसा कि पं० भगवानलाल इन्द्रजीका अनुमान है ।
रापसन साहबने ईश्वरदत्तके सिक्कों परके राजाके मस्तककी बनावटसे और अक्षरोंकी लिखावटसे इसका समय श० सं० १५८ और १६१ के. बीच निश्चित किया है ।
क्षत्रपोंके सिक्कोंको देखनेसे भी यह समय ठीक प्रतीत होता है; क्योंकि इस समयके बीचके महाक्षत्रपका एक भी सिक्का अब तक नहीं मिला है। ___ ईश्वरदत्तके पहले और दूसरे राज्य-वर्षके सिक्के मिले हैं । इनमेंके पहले वर्षवालोंपर उलटी तरफ “राज्ञो महाक्षत्रपस ईश्वरदत्तस वर्षे प्रथमे" और सीधी तरफ राजाके सिरके पीछे १ का अङ्क लिखा होता है। तथा दूसरे वर्षके सिक्कोंपर उलटी तरफ “ राज्ञो महाक्षत्रपस ईश्वरदत्तस वर्षे द्वितीये" और सीधी तरफ २ का अङ्क लिखा रहता है ।
यशोदामा (प्रथम)। [श० सं० १६०, १६१ ( ई० स० २३८, २३९, वि०
सं० २९५, २९६ )] यह दामसेनका पुत्र था और अपने भाई क्षत्रप वीरदामाके बाद श० (१) आभीर शिवदत्तके पुत्र ईश्वरसेनके राज्यके नवें वर्षका नासिकका लेख (Ep. Ind., Vol. VIII, p. 88 ).
(२) J. R. A. S., 1890; p. 857. (३) Rapson. Catalogue the Andhra and Kshatrapa dynasties etc., p.
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