Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
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क्षत्रप-चंश ।
महाक्षत्रपस रुद्रदाम्नपुत्रस राज्ञ क्षत्रपस दामजदश्रिय" लिखा रहता है। परन्तु कुछ सिक्के ऐसे भी मिले हैं जिन पर “ राज्ञो महाक्षत्रपस्य रुद्रदाम्नः पुत्रस्य राज्ञ क्षत्रपस्य दामध्स..." लिखा होता है। तथा इसके महाक्षत्रप उपाधिवाले सिक्कों पर “ राज्ञो महाक्षत्रपस रुद्रदाम्नपुत्रस राज्ञो महाक्षत्रपस दामजदश्रिय' लिखा रहता है। इसके दो पुत्र थे---सत्यदामा और जीवदामा ।
जीवदामा। [श० सं० १ [ • • ]-१२० (६० स० १ [७८ ]-१९८=वि०
सं० २३५-२५५)] यह दामजसका पुत्र और रुद्रसिंहका भतीजा था । इस राजासे क्षत्रपोंके चाँदीके सिक्कों पर सिरके पीछे ब्राह्मी लिपिमें बराबर संवत् लिखे मिलते हैं । परन्तु जीवदामाके मिश्र धातुके सिक्कों पर भी संवत् लिखा रहता है।
जीवदामाके दो प्रकारके चाँदीके सिक्के मिले हैं। इन दोनों पर महाक्षत्रपकी उपाधि लिखी होती है । तथा इन दोनों प्रकारके सिक्कोंको ध्यानपूर्वक देखनेसे अनुमान होता है कि इन दोनोंके ढलवानेमें कुछ समयका अन्तर अवश्य रहा होगा । इस अनुमानकी पुष्टिमें एक प्रमाण और भी मिलता है। अर्थात् इसके चचा रुद्रसिंह प्रथमके सिक्कोंसे प्रकट होता है कि वह दो दफ़े क्षत्रप और दो ही दफ़े महाक्षत्रप हुआ था। इससे अनुमान होता है कि जीवदामाके पहली प्रकारके सिक्के रुद्रसिंहके प्रथम बार क्षत्रप रहनेके समय और दूसरी प्रकारके अपने चचा रुद्रसिंहके दूसरी बार क्षत्रप होनेके समय ढलवाये गये होंगे।
जीवदामाके पहले प्रकारके सिक्कों पर उलटी तरफ “ राज्ञो महाक्षत्रपस दामजदश्रिय पुत्रस राज्ञो महाक्षत्रपस जीवदान " और सीधी तरफ सिरके पीछे शक-संवत् १ [ +'+] लिखा रहता
(१) संवत् एक सौके अगले अक्षर पढ़े नहीं गये हैं ।
पास गप साग।
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