Book Title: Bhagwati Sutra Part 01
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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(XXIV) ४. ववहारो (मूलपाठ, संस्कृत छाया, हिन्दी अनुवाद, टिप्पण आदि सहित)
आचार्यश्री महाप्रज्ञजी द्वारा आरब्ध
प्रधान सम्पादक आचार्यश्री महाप्रज्ञ क साथ ५. निसीहज्झयणं (मूलपाठ, संस्कृत छाया, हिन्दी अनुवाद, टिप्पण आदि सहित)
आचार्यश्री महाप्रज्ञजी द्वारा आरब्ध।
प्रधान सम्पादक आचार्यश्री महाप्रज्ञ क साथ ६. दसाओ (मूलपाठ, संस्कृत छाया, हिन्दी अनुवाद, टिप्पण आदि सहित)
आचार्यश्री महाप्रज्ञजी द्वारा आरब्ध।
प्रधान सम्पादक-आचार्यश्री महाप्रज्ञ क साथ ७. रायपसेणइयं (मूलपाठ, संस्कृत छाया, हिन्दी अनुवाद, टिप्पण आदि सहित)
प्रधान सम्पादक ८. अणुत्तरोववाइयदसाओ (मूलपाठ, संस्कृत छाया, हिन्दी अनुवाद, आदि सहित)
प्रधान सम्पादक गुरुदेव तुलसी और मुनिश्री नथमलजी (आचार्यश्री महाप्रज्ञजी) ने जो कार्य वि.सं. २०१२ (ईस्वी सन् १९५५) में प्रारम्भ किया था, वह ईस्वी सन् २०१२ में भी चल रहा है। आचार्यश्री महाश्रमणजी का कुशल नेतृत्व हमें प्राप्त है। तेरापंथ धर्मसंघ की विलक्षण विनय-परिपाटी एवं अनुपम अनुशासन-परम्परा हमारे आधार-स्तम्भ हैं। इसलिए आशा है कि आचार्यश्री महाश्रमणजी के नेतृत्व एवं निदेशन में आगम-कार्य का अवशिष्ट भाग सम्पन्न होगा जिसमें हमारे संघ के साधु-साध्वियों का योगदान प्राप्त हो रहा है। श्रद्धेय आचार्यश्री महाश्रमणजी के प्रति मैं विनम्र भाव से अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं।
प्रस्तुत संस्करण के मेरे सम्पादन-कार्य में मुझे मेरे सहगामी मुनि अजितकुमारजी का सराहनीय सहयोग प्राप्त हुआ है। उन्होंने प्रूफ-रीडिंग आदि कार्यों में निष्ठा के साथ श्रम किया है। उनके प्रति मेरी मंगलकामना।
अन्त में मैं अपनी ओर से उन सभी व्यक्तियों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करना चाहूंगा जिन्होंने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में मेरे कार्य में सहयोग किया है। ___आशा है, भगवती सूत्र का यह हिन्दी संस्करण जिज्ञासु पाठकों की ज्ञान-पिपासा को शांत करने में सहायक बनेगा।
-मुनि महेन्द्रकुमार