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भगवान् महावीर
वर्ष लग जाते हैं। बहुत ही शनैः शनैः क्रम क्रम से ऐसी परिस्थिति तैयार होती है इसलिए यह निश्चय है कि बौद्धधर्म और जैनधर्म के समान विशाल क्रान्तियों की तैयारी भारतवर्ष दो या चार वर्षों से नहीं, प्रत्युत सैकड़ों वर्षों से कर रहा था।
उस समय के बड़े बड़े नगर भगवान महावीर के समय में इस देश में निम्नांकित बड़े बड़े नगर थे । इन सब नगरों में ऊंचे २ प्राचीर बने हुए थे। इन नगरों के मकान चूने, ईट और पत्थर के बनाये जाते थे । लकड़ी का भी प्रचुरता से उपयोग किया जाता था, मकान बहुत सजे हुए रहते थे, कई मकान सात मंजिल के होते थे। इनमें गर्म स्नानागार भी रहते थे । येस्नानागार प्रायः तुर्की ढङ्ग के होते थे।
१-अयोध्या जो सरयू नदी पर था।
२-बनारस जो गंगा तीर पर था--उस समय इसका विस्तार क़रीब ८५ मील था ।
३-चम्पा-यह अङ्ग राज्य की राजधानी थी और चम्पा नदी के किनारे बसी हुई थी।
४-काम्पिला-उत्तरीय पाञ्चाल जाति की राजधानी थी।
५-कौशाम्बी-बनारस से २३० मील की दूरी पर यमुना तट पर स्थित थी । यह व्यापार की बहुत बड़ी मण्डी थी।
६-मधुपुरी-यह यमुना तीर पर शुरसेनों की राजधानी थी, कई लोगों का मत है कि वर्तमान मथुरा वही स्थान है जहां मधुरा या मधुपुरी थी।
७-मिथिला-राजा जनक की राजधानी थी।
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