________________
भगवान् महावीर
२८
और दूरदर्शी था। तक्षशिला विश्वविद्यालय में उसने विद्योपार्जन किया था। इसने अपनी बहन के साथ बौद्धधर्म ग्रहण किया था और बौद्धधर्मावलम्बिनी कन्या से ही विवाह करने का इसका इरादा था । बहुत कोशिश के पश्चात् इसे शाक्य वंश की एक कन्या का पता लगा । पर शाक्य राजा ने इसे कन्या देने से इन्कार किया, क्योंकि वे कौशल राज्य को अपनी कन्या नहीं देते थे। इस पर प्रसेनजित ने उनसे युद्ध करना चाहा। पर इस अवसर को टाल देने के निमित्त उन्होंने अपनी दासी पुत्री वासवक्षत्रिया को राजकुमारी कह कर उसके साथ प्रसेनजित की शादी कर दी । “विरुदाभ' प्रसेनजित की इसी स्त्री का लड़का था। जब विरुदाभ बड़ा हुआ और उसे यह घटना मालूम हुई तो उसने इसका बदला लेने के लिए कपिलवस्तु पर चढ़ाई कर दी और वहां के लोगों की इस निर्दयता के साथ कतल की कि जिससे वहां पर रक्त की नदियां बहने लगी। इन घटनाओं से तत्कालीन राजकीय परिस्थिति का अनुमान करना अपेक्षाकृत अवश्य आसान हो जायगा।
मतलब यह है कि बुद्ध और महावीर के समय में भारतवर्ष के राजनैतिक वायुमण्डल में क्रान्ति होने के पूर्ण लक्षण नज़र आने लगगये थे । क्या लोगों के आचार विचार में, क्या धर्म-सम्बन्धी कार्य में, सामाजिक रीति रिवाजों में और क्या साहित्य में, सभी अङ्गों में क्रान्ति के लक्षण प्रगट होने लग गये थे। देश का वायु. मण्डल क्रान्ति की पूर्ण तैयारी कर चुका था। यह बात निर्विवाद सिद्ध है कि, किसी भी क्रान्ति का वायुमण्डल एक दम तैयार नहीं हो जाता । क्रान्ति के अनुकूल परिस्थिति बनने में सैकड़ों Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com