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किरण १]
स्वर्गीय बाबू देवकुमार : उदार स्वभाव
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बाबू देवकुमार जी मेरे लंगोटिया साथी थे, नागरी प्रचारिणी सभा आरा की उन्नति में उनका योग था । बाल्यकालीन और यौवन कालीन उनकी अनेक स्मृतियाँ आज भी मेरे हृदय में ज्यों की त्यों वर्तमान हैं। उनका स्नेही और उदार स्वभाव भुलाये नहीं भूलता है। यों तो उनमें मानवोचित सभी गुण थे, पर सौहार्द, सौजन्यता के साथ उदारता उच्चकोटि की थी । यद्यपि भोग-विलास में मितव्ययी थे, पर परोपकार के कार्यों में सदा आगे रहते थे । मुझे विश्वास है कि वे यदि थोड़े दिन और जीवित रहते तो निश्चय ही जैन समाज को नवीन सांस्कृतिक चेतना प्रदान करते । मात्र ३१ वर्ष की आयु में उनका देहवसान हो जाना, समाज के लिये अभिशाप सिद्ध हुआ है ।
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