Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 18
________________ वियले किमि-कुंथु-मच्छादी पुढवादी-एगिदिए ।। अज्झयणं-२, उद्देसो-१ - - - - - [२२९] पसु-पक्खी-मिगा-सन्नी नेरइया मनुयामरा भव्वाभव्वा वि अत्थेसं नीरए उभय-वज्जिए || २३०] धम्मत्ता जंति छायाए वियलिंदी-सिसिरायवं होही सोक्खं किलम्हाणं ता दुक्खं तत्थ वी भवे ।। [२३१] सुकुमालंगत्ताओ खण-दाहं सिसिरं खणं न इमं न इमं अहियासेउं सक्कीण्णं एवमादियं ।। [२३२] मेहुण-संकप्प-रागाओ मोहा अन्नाण-दोसओ पुढवादिसु गयएगिंदी न याणंती दुक्खं सुहं ।। [२३३] परिवत्तंते अनंते वि काले बेइंदियत्तणं केई जीवा न पावेंति केइ पुणा नादि पावियं ।।। [२३४] सी-उण्ह-वाय-विज्झडिया मिय-पसु-पक्खी-सिरीसिवा सिमिणते वि न लभंते ते निमिसद्धब्भंतरं सुहं ।। [२३५] खर-फरुस-तिक्ख-करवत्ताइएहिं फालिज्जता खण खण । निवसंति नारया नरए तेसिं सोक्खं कुओ भवे ? || [२३६] सुरलोए अमरया सरिसा सव्वेसिं तत्थिमं दुहं उवट्ठिए वाहणत्ताए एगो अन्नो तत्थमारुहे ।। [२३७] सम-तुल्ले पाणि-पादेणं हा हा ! मे अत्त-वेरिणा । माया-डंभेण धि द्धि द्धि ! परितप्पे हं आयवंचिओ || [२३८] सुहेसी किसि-कम्मत्तं सेवा-वाणिज्ज-सिप्पयं कुव्वंताऽहन्निसं मणुया धुप्पंते एसिं कुओ सुहं ? || [२३९] पर-घरसिरीए दिहाए एगे डझंति बालिसे अन्ने अपहुप्पमाणीए अन्ने खीणाए लच्छिए ।। [२४०] पुन्जेहिं वड्ढमाणेहिं जस-कित्ती-लच्छी य वड्ढइ पुन्नेहिं हायमाणेहिं जस-कित्ती-लच्छी-खीयइ ।। [२४१] वास-साहस्सियं केई मन्नते एगं दिनं पुणो कालं गति दक्खेहिं मनया पन्नेहिं उज्झिया ।। [२४२] संखेवत्थमिमं भणियं सव्वेसिं जग-जंतुणं दुक्खं मानुस-जाईणं गोयम ! जं तं निबोधय ।। [२४३] जमनुसमयमनुभवंताणं सयहा उव्वेवियाण वि निव्विण्णाणं पि दुक्खेहिं वेरग्गं न तहा वी भवे ।। [२४४] दुविहं समासओ मुणसु दुक्खं सारीर-मानसं घोर-पचंड-महारोदं तिविहं एक्केक्कं भवे ।। [२४५] घोरं जाण मुहत्तंतं घोर-पयंड ति समय-वीसामं - - - - - - - - दीपरत्नसागर संशोधितः] [17] [३९-महानिसीह

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