Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 120
________________ [ १३७९ ] से भयवं किं तं बितियं पायच्छित्तस्सणं पयं ? गोयमा ! बीयं तइयं चउत्थं पंचमं जाव णं संखाइयाइं पच्छित्तस्स णं पयाइं ताव णं एत्थं च एव पढम-पच्छित्त-पए अंतरोवगायाइं समनुविंदा । से भयवं ! केण अट्ठेणं एवं वुच्चइ ? गोयमा ! जओ णं सव्वावस्सग-कालानुपेही भिक्खू णं रोद्दट्टज्झाणं-राग-दोस-कसाय - गारव - ममाकाराइसुं णं अनेग- पमायालंबणेसु सव्व-भाव-भावतरंतररेहि णं अच्चंत्तं-विप्पमुक्को भवेज्जा । केवलं तु नाण- दंसण-चारित्त-तवोकम्म-सज्झायज्झाण-सद्धम्मावस्सगेसु अच्चंतं अनिगूहिय बल वीरिय परक्कमे सम्मं अभिरमेज्जा । जाव णं सद्धम्मावस्सगेसुं अभिरमेज्जा, ताव णं सुसंवुडासव-दारे हवेज्जा । जाव णं सुसंवुडासव-दारे हवेज्जा ताव णं सजीव - वीरिएणं अनाइ भव- गहणं संचियाणिट्ठ-दुट्ठ-ट्ठ-कम्मरासीए एगंत - निट्ठवणेक्क- बद्ध-लक्खो अनुक्कमेण निरुद्ध-जोगी भवित्ताणं निद्दद्धासेस-कम्मिंधणे विमुक्क-जाइ-जरा-मरण-चउगइ संसार- पास बंधणे य सव्व - दुक्ख - विमोक्ख तेलोक्कंसिहर-निवासी भवेज्जा । एएणं अट्ठेणं गोयमा ! एवं वच्चइ जहा णं एत्थं चेव पढम-पए अवसेसाई पायच्छित्तं-पयाइं अंतरोवगयाई समनुविंदा | [१३८० ] से भयवं ! कयरे ते आवस्सगे ? गोयमा ! णं चिड़-वंदणादओ । से भयवं ! कही आवस्सगे असई पमाय-दोसेणं कालाइक्कमिए इ वा वेलाइक्कमिए इ वा समयाइक्कम इवा अनोवउत्त-पमत्ते इ वा अविहीए समणुट्ठिए इ वा, नो णं जहुत्तयालं विहीए सम्मं अनुट्ठिए इ वा, असंपडिए इ वा विच्छंपडिए इ वा, अकए इ वा पमाइए इ वा, केवतियं पायच्छित्तं उवइसेज्जा ? गोयमा ! जे केई भिक्खू वा भिक्खुणी वा संजय - विरय- पडिहय- पच्चक्खाय पाव- कम्मे-दिक्खा-दिया-पभईओ अनुदियहं जावज्जीवाभिग्गहेणं सुविसत्थे भत्ति-निब्भरे जहुत्त-विहीए सुत्तत्थं अनुसरमाणेण अनन्नमानसे-गग्ग-चित्ते तग्गय-मानस -सुहज्झवसाए थय-थुइहिं न तेकालियं चेइए वंदेज्जा तस्स णं एगाए वाराए खवणं पायच्छित्तं उवइसेज्जा बीयाए छेदं तइयाए उवट्ठावणं । अविहीए चेइयाइं वंदए, तओ पारंचियं, जओ अविहीए चेइयाइं वंदेमाणे अन्नेसिं असद्धं संजणे इइ काउणं । जो उण हरियाणि वा बीयाणि वा पुप्फाणि वा फलाणि वा पूयट्ठा वा महिमट्ठा वा सोभट्ठाए वा संघट्टेज्ज वा संघट्टावेज्ज वा छिंदेज्ज वा छिंदावेज्ज वा संघट्टिज्जंताणि वा छिंदिज्जंताणि वा परेहिं समणुजाणेज्जा वा, एएसुं सव्वेसुं उवट्ठावणं खवणं चउत्थं आयंबिलं एक्कासणगं निव्विगइयं गाढागाढ-भेदेणं जहा संखेणं नेयं । [१३८१] जे णं चेइए वंदेमाणस्स वा नमंसमाणस्स वा संथुणेमाणस्स वा पंचप्पयारं सज्झायं पयरेमाणस्स वा विग्घं करेज्ज वा कारवेज्ज वा कीरंतं वा परेहिं समणुजाणेज्जा वा, से तस्स एएसुं दुवाल छट्ठे एक्कासणगं कारणिगस्स निक्कारणिगे अवंदए संवच्छरं जाव पारंचियं काऊण उवट्ठवेज्जा । अज्झयणं-७/ चूलिका-१ [१३८२] जे णं पडिक्कमणं न पडिक्कमेज्जा से णं तस्सोट्ठावणं निद्दिसेज्जा । बइट्ठपडिक्कमणे खमणं । सुन्नासुन्नीए अनोवउत्त - पमत्तो वा पडिक्कमणं करेज्जा, दुवालसं । पडिक्कमणकालस्स चुक्कइ, चउत्थं । अकाले पडिक्कमणं करेज्जा, चउत्थं । कालेण वा पडिक्कमणं नो करेज्जा, चउत्थं । संथार-गओ वा संथारगोवविट्ठो वा पडिक्कमणं करेज्जा, दुवालसं । मंडली न पडिक्कमेज्जा, उवट्ठावणं । कुसीलेहिं समं पडिक्कमणं करेज्जा, उवट्ठावणं । परिब्भट्ठ-बंभचेर-वएहिं समं [दीपरत्नसागर संशोधितः ] [३९-महानिसह] [119]

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