Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 133
________________ [१४२६] एवमालोयणं दाउं पायच्छित्तं चरेत्तु णं । कलि-कलुस-कम्म-मल-मुक्के जइ नो सिज्झेज्ज तक्खणं ।। [१४२७] ता वए देव-लोगम्हि निच्चुज्जोए सयं पहे । देव-दुंदुहि-निग्घोसे अच्छरा-सय-संकुले ।। [१४२८] तओ चुया इहागंतु सुकुलुप्पत्तिं लभेत्तु णं । निव्विण्ण-काम-भोगा य तवं काउं मया पुणो || [१४२९] अनुत्तर-विमानेसुं निवसिऊनेहमागया । हवंति धम्म-तित्थयरा सयल-तेलोक्क-बंधवा ।। [१४३०] एस गोयम ! विण्णेए स्पसत्थे चउत्थे पए । भावालोयणं नाम अक्खय-सिवसोक्ख-दायगो त्ति बेमि ।। [१४३१] से भयवं एरिसं पप्पा विसोहिं उत्तमं वरं । जे पमाया पुणो असई कत्थइ चुक्के खलेज्ज वा ।। [१४३२] तस्स किं तं विसोहि-पयं सुविसुद्धं चेव लिक्खए | उयाह नो समुल्लिक्खे ? संसयमेयं वियागरे ।। [१४३३] गोयमा! निंदिउं गरहि सुदूरं पायच्छित्तं चरेत्तु णं । निक्खारिय-वत्थामिवाए खंपणं जो न रक्खए || [१४३४] सो सुरभिगंध-गब्भिण गंधोदय-विमल-निम्मल-पवित्ते । मज्जिय-खीर-समुद्दे गड्डाए जड़ पडइ ।। [१४३५] ता पुण तस्स सामग्गी सव्व-कम्म-खयंकरा | अह होज्ज देव-जोग्गा असुई-गंधं खु दुद्धरिसं ।। [१४३६] एवं कय-पच्छित्ते जे णं छज्जीव-काय-वय-नियमं । दंसण-नाण-चरित्तं सीलंगे वा तवंगे वा ।। [१४३७] कोहेण व माणेण व माया लोभ-कसाय-दोसेणं । रागेण पओसेण व अन्नाण-मोह-मिच्छत्त-हासेण वा वि ।। [१४३८] [भएणं कंदप्पा दप्पेण] । एएहिं य अन्नेहिं य गारवमालंबणेहिं जो खंडे । सो सव्वट्ठ-विमाणा घल्ले अप्पाणगं निरए खिवे ।। [१४३९] से भयवं ! किं आया संरक्खेयव्वे उयाह छज्जीव-निकाय-माइ संजमं संरक्खेव्वं ? गोयमा ! जे णं छक्कायाइ-संजमं संरक्खे से णं अनंत-दक्ख-पयायगाओ दोग्गड-गमनाओ अ संरक्खे, तम्हा उ छक्कायाइं संजममेव रक्खेयव्वं होइ । [१४४०] से भयवं ! केवतिए असंजमट्ठाणे पन्नत्ते ? गोयमा ! अनेगे असंजमट्ठाणे पन्नत्ते जाव णं कायासंजमट्ठाणे | से भयवं ! कयरेणं से काया संजमट्ठाणे ? गोयमा ! काया संजमट्ठाणे अनेगहा पन्नत्ते [तंजहा] :अज्झयणं-७ / चूलिका-१ वे-दगागनि-वाऊ-वणप्फती तह तसाण विविहाणं । दीपरत्नसागर संशोधितः] [132] [३९-महानिसीह

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