Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 135
________________ जो हरिय-तणं पुप्फं वा फरिसे कत्थं स सुज्झिही [१४५९] किं ? गोयमा ! एत्थं दाऊणं आलोयणं । अक्कमई बीय-कायं जो कत्थं गंतु स सुज्झिही [१४६०] किं बहुना ? गोयमा ! एत्थं दाऊणं आलोयणं । वियलिंदी-बि-ति-चउ-पंचेदिय परियावेजो कत्थ स सुज्झिही [१४६१] किंबहुना ? गोयमा ! एत्थं दाऊणं आलोयणं । छक्काए जो न रक्खेज्जा सुहुमे कत्थ स सुज्झिही [१४६२] किं बहुना ? गोयमा ! एत्थं दाऊणं आलोयणं । तस थावरे जो न रक्खे कत्थं गंतुं स सुज्झिही [१४६३] आलोइय-निंदय-गरहिओ वि कय-पायच्छित्त-नीसल्लो । उत्तम ठाणम्मि ठिओ पुढवारंभं परिहरेज्जा ।। [१४६४] आलोइय-निंदिय गरहिओ वि कय- पायच्छित्त - नीसल्लो । उत्तम ठाणम्मि ठिओ जोईए मा फुसावेज्जा ।। [१४६५] आलोइय-निंदिय-गरहिओ वि कय- पायच्छित्त संविग्गो । उत्तम ठाणम्मि ठिओ मा वियावेज्ज अत्ताणं ।। [१४६६] आलोइय-निंदिय-गरहिओ वि कय पायच्छित्तं संविग्गो | छिन्नं पि तणं हरियं असई मनगं मा फरि ।। [१४६७] आलोइय-निंदिय-गरहिओ वि कय पायच्छित्तं संविग्गो | उत्तम ठाणम्मि ठिओ जावज्जीवं पि एतेसिं ॥ अज्झयणं-७ / चूलिका-१ [१४७५] आलोइय-निंदिय-गरहिओ वि कय-पायच्छित्त नीसल्लो [134] ? ।। [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] ? ।। ? ।। [१४६८] बेइंदिय-तेइंदिय चउरो पंचेंदियाण जीवाणं । संघट्टण-परियावण किलावणोद्दवण मा कासी ।। [१४६९] आलोइय-निंदिय-गरहिओ वि कय- पायच्छित्त संविग्गो | उत्तम ठाणम्मि ठिओ सावज्जं मा भणिज्जासु || [१४७०] आलोइय-निंदिय-गरहिओ वि कय- पायच्छित्त संविग्गो । लोयट्ठेण वि भूई गहिया गिहि उक्खिविउ दिन्ना || [१४७१] आलोइय-निंदिय-गरहिओ वि कय- पायच्छित्त संविग्गो | जो इत्थं संलवेज्जा गोयमा ! कत्थ स सुज्झिही ।। [१४७२] आलोइय-निंदिय-गरहिओ वि कय- पायच्छित्त नीसल्लो चोद्दस-धम्मुवगरणं उड्ढं मा परिग्गहं कुज्जा ।। ! नत्थि ।। [१४७३] तेसिं पि निम्ममत्तो अमुच्छिओ अगढिओ दढं हविया । अह कुज्जा उ ममत्तं ता सुद्धी गोयमा [१४७४] किं बहुना ? गोयमा ! एत्थ दाऊण आलोयणं । रयणीए आविए पाणं कत्थ गंतुं स सुज्झिही ? ।। ? ।। ? ।। [३९-महानिसीहं]

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