Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 97
________________ अह सीलं विराहेज्जा ता तं हवइ सयगुणं ।। [१०३४] तीए पंचिंदिया जीवा जोणी-मज्झ-निवासिणो | सामण्णं नव लक्खाइं सव्वे पासंति केवली ।। [१०३५] केवल-नाणस्स ते गम्मा नोऽकेवली ताई पासती । ओहीनाणी वियाणेए नो पासे मनपज्जवी ।। [१०३६] ते पुरिसं संघडेती कोल्गम्मि तिले जहा | सव्वे मुम्मुरावेइ रत्तुम्मत्ता अहन्निया ।। [१०३७] चक्कमंती य गाढाइं काइयं वोसिरंति या । वावइज्जा उ दो तिन्नि सेसाई परियावई ।। [१०३८] पायच्छित्तस्स ठाणाइं संखाइयाइं गोयमा अनालोयंतो हु एक्कं पि ससल्लमरणं मरे ।। [१०३९] सयसहस्स नारीणं पोट्ट फालेत्तु निग्घिणो । सत्तद्वमासिए गब्भे चडफडते निगिंतइ ।। [१०४०] जं तस्स जेत्तियं पावं तेत्तियं तं नवं गुणं । एक्कसित्थी पसंगेणं साहू बंधिज्ज मेहुणा ।। [१०४१] साहुणीए सहस्सगुणं मेहुणेक्कसिं सेविए । कोडिगुणं तु बिइज्जेणं तइए बोही पनस्सई ।। [१०४२] एयं नाऊण जो साहू इत्थियं रामेहिई । बोहिलाभा परिब्भट्ठो कहं वराओ सोहिइ ।। [१०४३] अबोहिलाभियं कम्मं संजओ अह संजई । मेहणे सेविए आऊ-तेउक्काए पबंधई ।। [१०४४] जम्हा तीसु वि एएसु अवरज्झंतो हु गोयमा उम्मग्गमेव वद्धारे मग्गं निट्ठवइ सव्वहा ।। [१०४५] भगवं! ता एएण नाएणं, जे गारत्थी मउक्कडे । । रतिं दिया न छड्डंति, इत्थीयं तस्स का गई [१०४६] ते सरीरं सहत्थेणं छिंदिऊणं तिलं तिलं । अग्गिए जइ वि होमंति तो वि सुद्धी न दीसइ ।। ? || अज्झयणं-६, उद्देसो [१०४७] तारिसो वि निवित्तिं सो परदारस्स जई करे । सावग-धम्मं च पालेइ गई पावेइ मज्झिमं ।। [१०४८] भयव सदार-संतोसे जइ भवे मज्झिमं गई । ता सरीरे वि होमंतो कीस सुद्धिं न पावई [१०४९] सदारं परदारं वा इत्थी परीसो व्व गोयमा रमंतो बंधए पावं नो णं भवइ अबंधगो || [१०५०] सावग-धम्मं जहुत्तं जो पाले पर-दारं चए । ? || दीपरत्नसागर संशोधितः] [96] [३९-महानिसीह

Loading...

Page Navigation
1 ... 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153