Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 106
________________ अज्झयणं-६, उद्देसो पुरसित्थी रमंताणं सव्वहा वि निवारियं ।। [११६५] ता निदुक्खो सो अन्नेसिं सुह- दुक्खं न याई । अग्गी दहण-सहाओ वि दिट्ठी दिट्ठो न निड्डहे || [११६६] अहवा न हि न हि भयवं जेण मे दट्ठूण कीडंति पक्खी पक्खुभियं मनं ।। [११६७] जाया पुरिसाहिलासा मे जा णं सेवामि मेहुणं । जं सिविणे वि न कायव्वं तं मे अज्ज विचिंतियं ॥ [११६८] तहा य एत्थ जम्मम्मि पुरिसो ताव मणेण वि । च्छओ एत्तियं कालं सिविणंते वि कहिंचि वि ।। [११६९] ता हा हा ! दुरायारा पाव-सीला अहन्निया । अट्टमट्टाइं चिंतंती तित्थयर - मासाइमो || [११७०] तित्थयरेणावि अच्चतं कट्ठे कडयडं वयं । अइदुद्धरं समादिदं उग्गं घोरं सुदुक्करं ।। [११७१] ता तिविहेण को सक्को एयं अनुपालेऊणं । वाया-कम्मं समायरणे बे रक्खं नो तइयं मनं ॥ [११७२] अहवा चिंतिज्जई दुक्खं कीरई पुण सुहेण य । ता जो मनसा वि कुसीलो स कुसीलो सव्व- कज्जेसु II [११७३] ता जं एत्थं इमं खलियं सहसा तुडि-वसेण मे । आगयं तस्स पच्छित्तं आलोइत्ता लहुं चरं ।। [११७४] सईण सील-वंताणं मज्झे पढमा महाssरिया । धुरम्मि दियए रेहा एयं सग्गे वि घूसई ।। [११७५] तहा य पाय धूली मे सव्वो वि वंदए जनो । हा किल सुज्झिज्जए मिमी इति पसिद्धाए अहं जगे ।। [११७६] ता जइ आलोयणं देमि ता एयं पयडी - भवे । मम भायरो पिया-माया जाणित्ता हुंति दुक्खि ।। [११७७] अहवा कहवि पमाएणं जं मे मनसा विचिंतिय । तमालोइयं नच्चा मज्झ वग्गस्स को दुह ! आणावितं न अन्नहा । [११७८] जावेयं चिंतिउं गच्छे ता वुद्धंतीए कंटगं । फुडियं ठसत्ति पायतले ता निसण्णा पडुल्लिया ।। [११७९] चिंतेइ हो एत्थ जम्मम्मि मज्झ पायम्मि कंटगं । न कयाइ खुत्तं ता किं संपयं एत्थ होहिइ [११८०] अहवा मुणियं तु परमत्थ-जाणगे अनुमती कया । संघट्टंतीए चिडुल्लीए सीलं तेन विराहियं ।। [११८१] मूयंध-काण-बहिरं पि कुटुं सिडि विडि विडिवडं । [105] [दीपरत्नसागर संशोधितः ] ? || ? || [३९-महानिसीहं]

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