Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 108
________________ ता विरंगामि एईए कण्णे नक्कं सहोद्वयं ।। [११९९] एसा उ न जाव विउप्पज्जे मम धूयं को वि नेच्छिही । अहवा हा हा ! न जुत्तमिणं धूया तुल्लेसा वि मे ।। [१२००] नवरं सुविनीया एसा विउप्पन्नत्थ गच्छिही । ता तह करेमि जहा एसा देसंतरं गया वि य ।। [१२०१] न लभेज्जा कत्थइ थामं आगच्छइ पडिल्लिया । देवेमि से वसी-करणं गुज्झ-देसं तु साडिमो || [१२०२] निगडाइं च से देमि भमडउं तहिं नियंतिया । एवं सा जुण्ण-वेसज्जा मनसा परितप्पिउं सुवे ।। [१२०३] ता खंडोढा सिमिणमि गुज्झं साडिज्जंतगं । पेच्छइ नियडे य दिज्जंते कण्णे नासं च वढियं ।। [१२०४] सा सिमिणत्थं वियारेउं नट्ठा जह कोई न याणइं । कह कह वि परिभमंती सा गाम-पुर-नगर-पट्टणे ।। [१२०५] छम्मासेणं त् संपत्ता संखडं नाम खेडगं । तत्थ वेसमण-सरिस-विहव-रंडा-पुत्तस्स सा जुया ।। [१२०६] परिणीया महिला ताहे मच्छरेण पज्जले दढं | रोसेण फुरफुरंती सा जा दियहे केइ चिट्ठइ ।। [१२०७] निसाए निब्भरं सइयं खंडोट्ठी ताव पेच्छइ । तं दई धाइया चुल्लिं दित्तं घेत्तुं समागया ।। [१२०८] तं पक्खिविऊण गुज्झंते फालिया जाव हिययं । जाव दुक्ख-भरक्कंता चल-चल्लचेल्लिं करेंतो ।। [१२०९] ता सा पुणो विचिंतेइ जाव जीवं न उड्डए | ताव देमी से दाहाइं जेण मे भव-सएस् वि ।। [१२१०] न तरड़ पियमं काउं इणमो पडिसंभरंतिया । ताहे गोयम ! आणेउं चक्किय-सालाओ अयमयं ।। [१२११] तावित्तु फुलिंग मेल्लंतं जोणिए पक्खित्तंकुस । एवं दुक्ख-भरक्कंता तत्थ मरिऊण गोयमा अज्झयणं-६, उद्देसो [१२१२] उववन्ना चक्कवट्टिस्स महिला-रयणत्तेण सा | इओ य रंडा-पुत्तस्स महिला तं कलेवरं ।। [१२१३] जीवुडज्झियं पि रोसेणं छेत्तुं छेत्तुं सुसंमयं । साण-काग-मादीणं जाव धत्ते दिसोदिसिं ।। [१२१४] तावं रंडा-पुत्तो व बाहिरभूमीओ आगओ । सो य दोसगुणे नाउं बहं मनसा वियप्पियं । गंतूण साहु-पामूलं पव्वज्जं काउ निव्वुडो ।। [दीपरत्नसागर संशोधितः] [107] [३९-महानिसीह

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