Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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[१२६३] अह जा अमर-परिग्गहिया नाण-त्तय-समण्णिया ।
कला-कलाव-निलया जन-मनानंद कारय ।। [१२६४] सयण-बंधव-परियारा देव-दानव-पूइया ।
पणइयण पूरियासा भुवणुत्तम सुहालया ।। [१२६५] भोगिस्सरियं रायासिरिं गोयमा ! तं तवज्जियं ।
जा दियहा केइ भुंजंति ताव ओहीए जाणिउं ।। [१२६६] खणभंगरं अहो एयं लच्छी पाव-विवडढणी ।
ता जाणंता वि किं अम्हे चरित्तं नाणचेट्ठिमो [१२६७] जाव एरिस-मन-परिणामं ताव लोगंतिया सुरा ।
थुणिउं भणंति जग-जीव-हिययं तित्थं पवट्टिही ।। [१२६८] ताहे वोसट्ठ-चत्त-देहा विहवं सव्व-जगुत्तमं ।
गोयमा ! तणमिव परिचिच्चा जं इंदाणं वि दुल्लहं ।। [१२६९] नीसंगा उग्गं कटुं घोरं अइक्करं तवं ।
भुयणस्स वि उक्कट्ठ समुप्पायं चरंति ते ।। [१२७०] जे पुण खरहर-फुट्टसिरे एग-जम्म सुहेसिणो ।
तेसिं दुल्ललियाणं पि सु९ वि नो हियइच्छियं ।। [१२७१] गोयमा! महु-बिंदुस्सेव जावइयं तावइयं सुहं ।
मरणंते वी न संपज्जे कयरं दुल्ललियत्तणं ।। [१२७२] अहवा गोयमा ! पच्चक्खं पेच्छ य जारिसयं नरा ।
दुल्ललियं सुहमनुहवंति जं निसुणेज्जा न कोइ वि ।। [१२७३] केइ करिति मासेल्लिं हालिय-गोवालत्तणं ।
दासत्तं तह पेसत्तं गोडत्तं सिप्पे बहू ।। [१२७४] ओलग्गं किसि वाणिज्जं पाणच्चाय-किलेसियं । दालिद्दऽविहवत्तणं केइ कम्मं काउं धराधरि ।। [१२७५] अत्ताणं वि गोवेडं ठिणि-ढिणिते य हिंडिउं । नग्गुग्घाडे किलेसेणं जा समज्जंति परिहणं ।। [१२७६] जर-जुण्ण-फुट्ट-सयच्छिदं लद्धं कह कह वि ओड्ढणं ।
अज्झयणं-६, उद्देसो
जा अज्ज कल्लिं कारिमोफर्ट ता तम वि परिहरणं ।। [१२७७] तहा वि गोयमा ! बुज्झ-फुड-वियड-परिफुडं ।
एतेसिं चेव मज्झाओ अनंतरं भणियाण कस्स ।। [१२७८] लोगं लोगाचारं च चेच्चा सयण-कियं तं च ।
भोगावभोगं दानं च भोत्तूणं कदसणासणं ।। [१२७९] धाविउं गुप्पिउं सुइरं खिज्जिऊण अहन्निसं । कागिणिं कागिणी-काउं अद्धं पायं विसोवगं ||
दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[३९-महानिसीह
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