Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text ________________
? ||
जाव सीलं न खंडेइ ताव देवेहिं थुव्वइ ।। [११८२] कंटगं चेव पाए मे खत्तं आगासागासियं ।
एएणं जं अहं चक्का तं मे लाभं महंतियं ।। [११८३] सत्त वि साहाउ पायाले इत्थी जा मनसा वि य ।
सीलं खंडेइ सा नेइ कहियं जननीए मे इमं ।। [११८४] ता जं न निवडई वज्जं पंसु-विट्ठी ममोवरिं ।
सय-सक्करं न फुट्टइ वा हिययं तं महच्छेरगं ।। [११८५] नवरं जई एयमालोयं ता लोगो एत्थ चिंतिही |
जहा-अमुगस्स धूयाए इयं मनसा अज्झवसियं ।। [११८६] तं नं तह वि पओगेणं परववएसेनालोइमो ।
जहा-जइ कोइ एयं अज्झवसइ पच्छित्तं तस्स होइ किं [११८७] तं चिय सोऊण काहामि तवेणं तत्थ कारणं ।
जं पुण भयवयाऽऽइडं घोरं अच्चंत-निद्रं ।। [११८८] तं तवं सील-चारित्तं तारिसं जाव नो कयं । तिविहं तिविहेण नीसल्लं ताव पावं न खीयए ।। [११८९] अह सा पर-ववएसेणं आलोइत्ता तवं चरे ।
पायच्छित्तं निमित्तेणं पन्नासं संवच्छरे ।। [११९०] छट्ठ-दुम-दसम-दुवालसेहिं लयाहिं नेइ दस वरिसे ।
अकयमकारियमसंकप्पिएहिं परिभूयभिक्ख-लद्धेहिं ।। [११९१] चनगेहिं दुन्नि वे भुज्जिएहिं सोलसय मासखमणेहिं ।
वीसं आयामायंबिलेहिं आवस्सगं अछड्डेती ।। [११९२] चरई य अदीनमनसा अह सा पच्छित्त-निमित्तं ।
ताहे गोयम सा चिंते- जं पच्छित्तं तयं कयं ।। [११९३] ता किं तमेव न कयं मे जं मनसा अज्झवसियं ।
तया इयरहे वि उ पच्छित्तं इयरहे व उ मे कयं ।। [११९४] ता किं तं न समायरियं चिंतेंती निहणं गया । उग्गं कटुं तवं घोरं दुक्करं पि चरित्तु सा ||
अज्झयणं-६, उद्देसो
[११९५] सच्छंद-पायच्छित्तेणं सकलुस-परिणाम-दोसओ ।
कुच्छिय-कम्मा समुप्पन्ना वेसाए पडिचेडिया ।। [११९६] खंडोट्ठा-नाम चडुगारी मज्ज-खडहडग-वाहिया । विनीया सव्व-वेसाणं थेरीए य चउग्गुणं ।। [११९७] लावण्णं कंती-रूवं नत्थि भवने वि तारिसं |
अन्नया थेरी चिंतेइ मज्झं बोडाए जारिसं ।। [११९८] लावण्णं कंती-रूवं नत्थि भुवने वि तारिसं ।
दीपरत्नसागर संशोधितः]
[106]
[३९-महानिसीह
Loading... Page Navigation 1 ... 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153