Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text ________________
अज्झयणं-६, उद्देसो
[१२१५] अह सो लक्खणदेवीए जीवो खंडोट्ठियत्तणा । इत्थि - रयणं भवेत्ताणं गोयमा छट्ठियं गओ ।। [१२१६] तन्नेरइयं महा- दुक्खं अइघोरं दारुणं तहिं । तिकोणे निरयावासे सुचिरं दुक्खेणावेइउं ।। [१२१७] इहागओ समुप्पन्नो तिरिय-जोणीए गोयमा साणत्तेणाह मयकाले विलग्गो मेहुणे तेहिं ।। [१२१८] माहिसिएणं कओ घाओ विच्चे जोणी समुच्छला । तत्थ किमिएहिं दस - वरिसे खद्धो मरिऊण गोयमा [१२१९] उववन्नो वेसत्ताए तओ वि मरिऊण गोयमा एगूणं जाव सय-वारं आम गब्भेसु पच्चिओ ।। [१२२०] जम्म-दरिद्दस्स गेहम्मि मानुसत्तं समागओ । तत्थ दो मास जायस्स माया पंचत्तं उवगया ।। [१२२१] ताहे महया किलेसेणं थण्णं पाउं धराधरिं । जीवावेऊण जनगेणं गोउल्लियस्स समल्लिओ || [१२२२] तहियं निय-जननीओ च्छीरं आवियमाणे निबंधिरं । छाव-रुए गोणीओ दुहमाणेणं जं बद्धं अंतराइयं ।। [१२२३] तेणं सो लक्खणज्जाए कोडाकोडिं भवंतरे । जीवो थण्णमलहमाणो बज्झतो रुज्झतो नियलिज्जतो । हम्मंतो दम्मंतो विच्छोहिज्जतो य हिंडिओ || [१२२४] उववन्नो मनुय - जोणीए डागिणित्तेण गोयमा तत्थ य साणय-पालेहिं कीलिउं छट्ठियं गया || [१२२५] तओ उव्वट्टिऊण इहइं तं लद्धो मानुसत्तणं । जत्त य सरीर-दोसेणं ए महंत - महि-मंडले ||
[१२२६] जामद्ध-जाम घडियं वा नोलद्धं वेरत्तियं जहियं । पंचेव उ घरे गामे नगरे पुर-पट्टणेसु वि ।।
[१२२७] तत्थ य गोयम ! मनुयत्ते नारय- दुक्खानुसरिसिए । अनेगे रण्ण-ऽरण्णेणं घोरे दुक्खेऽनुभोत्तु णं ।।
[१२२८] सो लक्खणदेवी-जीवो सुरोद्द - ज्झाण- दोसए । मरिऊण सत्तमं पुढविं उववन्नो खाडाहडे ।। [१२२९] तत्थ य तं तारिसं दुक्खं तेत्तिसं सागरोवमए । अनुभविऊणेह उववन्नो वंझा गोणीत्तणेण य ।। [१२३०] खेत्त-खलयाई चमढंती भंजंती य चरेंति या । सा गोणी बहु-जनोहेहिं मिलिऊणागाह - पंक वलए पवेसिया ।। [१२३१] तत्थ खुट्टि जलोयाहिं लुसिज्जंती तहेव य ।
[108]
[दीपरत्नसागर संशोधितः ]
! |
! ||
! |
! |
[३९-महानिसीहं]
Loading... Page Navigation 1 ... 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153