Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text ________________
? ||
? |
विचिंतेवं जहेत्थ जए को न ताइं समारभे [१११९] पुढवीए ताव एसेव समासीनो वि चिट्ठइ ।
अग्गीए रद्धयं खायइ सव्वं बीय समुब्भवं ।। [११२०] अन्नं च-विना पाणेणं खणमेक्कं जीवए कहं
ता किं पि तं पवक्खे स जं पच्च्यमत्थंतियं ।। [११२१] इमस्सेव समागच्छे न उणेयं कोई सद्दहे |
तो चिट्ठउ ताव एसेत्थं वरं सो चेव गणहरो || [११२२] अहवा एसो न सो मज्झं एक्को वी भणियं करे ।
अलिया एवंविहं धम्मं किंचुद्देसेण तं पि य ।। [११२३] साहिज्जइ जो सवे किंचि न वण मच्चंत-कडयडं ।
अहवा चिटुंतु तावेए अहयं सयमेव वागरं ।। [११२४] सुहं सुहेण जं धम्म सव्वो वि अनुट्ठए जनो ।
न कालं कडयडस्सऽज्जं धम्मस्सिति जा विचिंतइ ।। [११२५] घडहडेंतोऽसणी ताव निवडिओ तस्सोवरि ।
गोयम ! निहणं गओ ताहे उववन्नो सत्तमाए सो || [११२६] सासन-सय-नाण-संसग्ग पडिनीयत्ताए ईसरो ।
तत्थ तं दारुणं दुक्खं नरए अनुभविउं चिरं ।। [११२७] इहागओ समुद्घमि महामच्छो भवेउ णं ।
पुणो वि सत्तमाए य तेत्तीसं सागरोवमे ।। [११२८] दुव्विसहं दारुणं दुक्खं अनुहविऊनेहागओ |
तिरिय-पक्खीसु उववन्नो कागत्ताए स ईसरो ।। [११२९] तओ वि पढमियं गंतुं उव्वट्टित्ता इहागओ |
दुट्ठ-साणो भवेत्ताणं पुनरवि पढमियं गओ ।। [११३०] उव्वट्टित्ता तओ इहइं खरो होउं पुणो मओ ।
उववन्नो रासहत्ताए छब्भव-गहणे निरंतरं ।। [११३१] ताहे मनुस्स-जाईए समुप्पन्नो पुणो तओ । उववन्नो वणयरत्ताए मानुसत्तं समागओ ।।
अज्झयणं-६, उद्देसो
[११३२] तओ मरिउं सम्प्पन्नो मज्जारत्तए स ईसरो ।
पुणो वि नरयं गंतुं इह सीहत्तेणं पुणो मओ ।। [११३३] उववज्जिउं चउत्थीए सीहत्तेण पुणो विह ।
मरिऊणं चउत्थीए गंतुं इह समायाओ ।। [११३४] तओ वि नरयं गंतुं चक्कियत्तेण ईसरो । तओ वि कुट्ठी होऊणं बह-दुक्खऽद्दिओ मओ ।। [११३५] किमिएहिं खज्जमाणस्स पन्नासं संवच्छरे ।
दीपरत्नसागर संशोधितः]
[101]
[३९-महानिसीह
Loading... Page Navigation 1 ... 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153