Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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अनिगृहंतो तवं चरइ पच्छित्तं तस्स किं भवे || [१०१७] तस्सेयं होइ पच्छित्तं असढ-भावस्स गोयमा
जो तं थामं वियाणित्ता वेरि-सेण्णमवेक्खिया ।। [१०१८] जो बलं वीरियं सत्तं पुरिसयारं निगूहए |
सो सपच्छित्त अपच्छित्तो सढ-सीलो नराहमो || [१०१९] नीया-गोत्तं दुहं घोरं नरए उक्कोसिय-ट्ठिति ।
वेदितो तिरिय-जोणीए हिंडेज्जा चउगईए सो ।। [१०२०] से भगवं पावयं कम्मं परं वेइय समुद्धरे ।
अननुभूएण नो मोक्खं पायच्छित्तेणं किं तहिं [१०२१] गोयमा! वास-कोडीहिं जं अनेगाहिं संचियं ।
तं पच्छित्त-रवी-पुढे पावं तुहिणं व विलीयई ।। [१०२२] घनघोरधयारतमतिमिस्सा जहा सूरस्स गोयमा पायच्छित्त-रविस्सेवं पाव-कम्मं पणंस्सए || [१०२३] नवरं जइ तं पच्छित्तं जह भणियं तह समुच्चरे |
असढ-भावो अनिगूहिय-बल-विरिय-पुरिसायार-परक्कमे ।। [१०२४] अन्नं च-काउ पच्छित्तं सव्वं थेवं नमच्चरे ।
जो दरुद्धियसल्लोच्चे सो दिहं चाउग्गइयं अडे ।। [१०२५] भयवं! कस्सालोएज्जा पच्छित्तं को वदेज्ज वा ।
कस्स व पच्छित्तं देज्जा आलोयावेज्ज वा कहं [१०२६] गोयमाऽऽलोयणं ताव केवलीणं बहुस् वि |
जोयण-सएहिं गंतूणं सुद्धभावेहिं दिज्जए || [१०२७] चउनाणीणं तयाभावे एवं ओहि-मई-सुए ।
जस्स विमलयरे तस्स तारतम्मेण दिज्जई ।। [१०२८] उस्सग्गं पन्नवेंतस्स ऊसग्गे पट्ठियस्स य ।
उस्सग्ग-रुइणो चेव सव्व-भावंतरेहि णं ।। [१०२९] उवसंतस्स दंतस्स संजयस्स तवस्सिणो । समिती-गुत्ति-पहाणस्स दढ-चारित्तस्सासढभाविणो ||
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अज्झयणं-६, उद्देसो
[१०३०] आलोएज्जा पडिच्छेज्जा देज्जा दविज्ज वा परं ।
अहन्निसं तदुद्दिढ़ पायच्छित्तं अनुच्चरे ।। [१०३१] से भयवं केत्तियं तस्स पच्छित्तं हवइ निच्छियं । पायच्छित्तस्स ठाणाई, केवतियाइं कहेहि मे [१०३२] गोयमा! जं सुसीलाणं समणाणं दसण्हं उ ।
खलियागय-पच्छित्तं संजइ तं नवगुणं ।। [१०३३] एक्का पावेइ पच्छित्तं जड़ सुसीला दढ-व्वया ।
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दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[३९-महानिसीह
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