Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: DeepratnasagarPage 40
________________ मल-लेव-पक्कालणं ति सव्वुत्तमुत्तमं आकिंचणं सव्वुत्तममुत्तमं परम-पवित्तुत्तम-सव्व-भाव-भावंतरेहिं णं सुविसुद्ध सव्व दोस विप्पमुक्क नवगुत्ती-सणाह अट्ठारस-परिहारट्ठाण परिवेढिय सुदुद्धर-घोर-बंभवय-धारणंति तओ एएसिं चेव सव्वुत्तम-खंती-मद्दव-अज्जव-मुत्ती तव संजम-सच्च-सोय-आकिंचण सुदुद्धर-बंभवय-धारण-समुट्ठाणेणं च सव्व-समारंभ-विवज्जणं, तओ य-पुढवि दगा-गणि-वाऊ-वणप्फई बि-तिचउ-पंचिदियाणं तहेव अजीव-काय संरंभ-समारंभारंभाणं च मनो-वइ-काय-तिएणं तिविहं तिविहेणं अज्झयणं-३, उद्देसो सोइंदियादि-संवरण आहारादि-सण्णा विप्पजढत्ताए वोसिरणं, तओ य अट्ठारस-सीलंग-सहस्स-धारित्तं अमलिय-अट्ठारस-सीलंग-सहस्स-धारणेणं च अखलिय-अखंडिय-अमलिय अविराहिय-सुदुग्गुग्गयरविचित्ताभिग्गह-निव्वाहणं, तओ य रेच्छोईरिय-घोर परिसहोवसग्गाहियासणं समकरणेणं । तओ य अहोरायाइ-पडिमासुं महा-पयत्तं, तओ निप्पडिकम्म-सरीरया निप्पडिकम्मसरीरत्ताए य सुक्कज्झाणे निप्पकंपत्तं, तओ य अनाइ-भव-परंपर-संचिय-असेस-कम्मट्ठ-रासि-खयं अनंतनाण-दंसण-धारित्तं च चउगइ-भव-चारगाओ निप्फेडं सव्व-दुक्ख-विमोक्खं मोक्ख-गमनं च, तत्थ अदिट्ठजम्म जरा-मरणाणि? संपओगिट्ठ वियोय-संतावुव्वेवगय-अयसब्भक्खाणं महवाहि-वेयणा रोग-सोग-दारिद्द दुक्ख भय-वेमनस्सत्तं, तओ य एगतिय अच्चंतियं सिव-मलयमक्खयं धुवं परम-सासयं निरंतरं सव्वुत्तमं सोक्खं ति, ता सव्वमेवेयं नाणाओ पवत्तेज्जा | ता गोयमा एगंतिय-अच्चंतिय-परम-सासय-धुव-निरंतर-सव्वुत्तम-सोक्ख-कंखुणा पढमयरमेव तावायरेणं सामाइयमाइयं लोग-बिंदुसार-पज्जवसाणं दुवालसंग सुयनाणं, कालंबिलादि-जहुत्त-विहिणोवहाणेणं हिंसादीयं च तिविहं तिविहेणं पडिक्कंतेणं य, सर-वंजण-मत्ता-बिंदुपय-क्खरानूनगं पयच्छेद-घोसबद्धयाणुपुव्वि-पुव्वाणुपुव्वी अनानुपुव्वीए सुविसुद्धं अचोरिक्कायएणं एगत्तणेणं सुविण्णेयं, तं च गोयमा ! अनिहनोरपार-सुविच्छिन्न-चरमोयहि मियसुदुरवगाहं सयल-सोक्ख-परम-हेउ-भूयं च, तस्स य सयल-सोक्खहेउ-भूयाओ न इट्ट-देवया-नमोक्कारविरहिए केई पारं गच्छेज्जा, इट्ट-देवयाणं च नमोक्कारं पंचमंगलमेव गोयमा ! णो न मण्णंति, ता नियमओ पंचमंगलस्सेव पढमं ताव विनओवहाणं कायव्वं ति | [४९३] से भयवं कयराए विहिए पंच-मंगलस्स णं विनओवहाणं कायव्वं ?, गोयमा इमाए विहिए पंचमंगलस्स णं विनओवहाणं कायव्वं, तं जहा-सुपसत्थे चेव सोहणे तिहि-करण-मुहुत्त-नक्खत्तजोग-लग्ग-ससीबले, विप्पमुक्क-जायाइमयासंकेण संजाय-सद्धा-संवेग-सुतिव्वतर-महं-तुल्लसंतसुहज्झवसायानुगयभत्ती-बहुमान-पुव्वं निणियाण दुवालस-भत्त-द्विएणं, चेइयालये जंतुविरहि-ओगासे, भत्तिभर-निब्भरुद्धसिय-ससीसरोमावली पप्फुल्ल-वयण-सयवत्त पसंत-सोम-थिर-दिट्ठी नव-नव-संवेगसमुच्छलंत संजाय-बहल घन-निरंतर अचिंत-परम-सुह-परिणाम विसेसुल्लासिय, सजीव वीरियाणु-समयविवड्ढंत पमोय सुविसुद्ध सुनिम्मल विमल थिर-दढयरंतकरणेणं, खितिनिहिय-जाणु ण सि-उत्तमंग-करकमल-मउल सोहंजलि-पुडेणं, सिरि-उसभाइ पवर-वर धम्म-तित्थयर पडिमा-बिंब विनिवेसिय-नयनमानसेगग्ग-तग्गयज्झवसाएणं, समयण्णुदढचरित्तादि गुण-संपओववेय गुरु-सद्दत्थत्थाणुट्ठाण करणेक्क-बद्धलक्ख तवाहिय गुरुवयण-विनिग्गयं विनयादि-बहुमान परिओसाऽनु-कंपोवलद्धं, अनेग-सोग संता-बुव्वेवगमहवा-धिवेयणा घोर-दुक्ख दारिद्द-किलेस रोग-जम्म-जरा-मरण गब्भ वास निवासाइ-दुट्ठ-सावगागाह-भीमभवोदहि-तरंडग-भूयं इणमो । [दीपरत्नसागर संशोधितः] [39] [३९-महानिसीहPage Navigation
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