Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 82
________________ विरुद्धे, तत्थ गोयमा ! जे णं जेसुं जेसुं देसेसुं विरुद्ध से णं नो पव्वावए, जे णं जेसुं देसेसु नो विरुद्ध से णं पव्वावए । से भयवं ! के कत्थ देसे विरुद्ध के वा नो विरुद्ध ? गोयमा ! जे णं केई परिसे इ वा इत्थिए इ वा, रागेण वा दोसेण वा अनुसरण वा कोहेण वा लोभेण वा अवराहेण वा अनवराहेण वा, समणं वा माहणं वा, मायरं वा पियरं वा भायरं वा भइणिं वा भाइणेयं सुयं वा सुयसुयं वा धूयं वा नत्तुयं वा सुण्हं वा जामाउयं वा, दाइयं वा गोत्तियं वा, सजाइयं वा विजाइयं वा, सयणं वा असयणं वा संबंधियं वा असंबंधियं वा, सनाहं वा असनाहं वा इढिमतं वा अनिढिमंतं वा, सएसियं वा विएसियं वा आरियं वा अनारियं वा, हणेज्ज वा हणावेज्ज वा उद्दवेज्ज वा उद्दवावेज्ज वा, से णं परियाए अओग्गे, से णं पावे से णं निदिए से णं गरहिए से णं दुगुछिए से णं पडिकटे से णं पडिसेहिए, से णं आवई से णं विग्घे से णं अयसे से णं अकित्ती से णं उम्मग्गे से णं अनायारे, एवं रायदुढे एवं तेणे एवं पर-जुवइ-पसत्ते एवं अन्नयरे इ वा केई वसणाभिभूए एवं अयसकिलिडे एवं छुहाणडिए एवं रिणोवदुए अविण्णाय जाइ-कुल-सील-सहावे एवं बहु-वाहि-वेयणा-परिगयसरीरे एवं रस-लोलुए एवं बहु-निद्दे एवं इतिहास-खेड्ड-कंदप्प-नाह-वायचच्चरि-सीले एवं बहु-कोऊहले एवं बहु-पोसवग्गे जाव णं मिच्छद्दिट्ठि-पडिनीय-कुलुप्पन्ने इ वा ।। से णं गोयमा ! जे केई आयरिए इ वा मयहरए इ वा गीयत्थे इ वा अगीयत्थे इ वा आयरिय-गुण-कलिए इ वा मयहर-गुण कलिए इ वा भविस्सायरिए इ वा भविस्स-मयहरएइ वा, लोभेण वा गारवेण वा दोण्हं गाउय-सयाणं अब्भंतरं पव्वावेज्जा, से णं गोयमा ! वइक्क-मिय-मेरे से णं पवयणवोच्छित्तिकारए से णं तित्थ-वोच्छित्तिकारए से णं संघ-वोच्छित्ति कारए, से णं वसनाभिभूए से णं अदिट्ठपरलोग-पच्चवाए से णं अनायार-पवित्ते से णं अकज्जयारी से णं पावे से णं पाव-पावे से णं महा-पावपावे, से णं गोयमा ! अभिग्गहिय-चंड-रुद्द-कूर-मिच्छद्दिट्ठी । [८२५] से भयवं के णं अटेणं एवं वुच्चइ ? गोयमा ! आयारे मोक्ख-मग्गे नो णं अज्झयणं-५, उद्देसो अनायारे मोक्खमग्गे, एएणं अटेणं एवं वुच्चइ । से भयवं कयरे से णं आयारे कयरे वा से णं अनायारे ? गोयमा ! आयारे आणा अनायारे खे तत्थ जे णं आणा-पडिवक्खे से णं एगते सव्व पयारेहिं णं सव्वहा वज्जणिज्जे, जे य णं नो आणा-पडिवक्खे से णं एगते णं सव्व-पयारेहिं णं सव्वहा आयर-णिज्जे, तहा णं गोयमा ! जं जाणेज्जा जहा णं एस णं सामण्णं विराहेज्जा, से णं सव्वहा विवज्जेज्जा | [८२६] से भयवं केह परिक्खा ? गोयमा ! जे केइ पुरिसे इ वा इत्थियाओ वा, सामण्णं पडिवज्जिउ-कामे कंपेज्ज वा थरहेज्ज वा निसीएज्ज वा छडि वा पकरेज्ज वा सगेण वा परगेण वा आसंतिए इ वा संतिए इ वा तदहत्तं गच्छेज्ज वा अवलोइज्ज वा पलोएज्ज वा वेसग्गहणे ढोइज्जमाणे कोई उप्पाए इ वा असुहे दोन्निमित्ते इ वा भवेज्जा, से णं गीयत्थे गणी अन्नयरे इ वा मयहरादी महया नेउण्णेणं निरूवेज्जा, जस्स णं एयाइं परतक्केज्जा से णं नो पव्वावेज्जा, से णं गुरु-पडिनीए भवेज्जा, से णं निद्धम्म-सबले भवेज्जा से णं सव्वहा सव्व-पयारेस् णं केवलं एगतेणं अयज्ज-करणुज्जए भवेज्जा । से दीपरत्नसागर संशोधितः] [81] [३९-महानिसीह

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