Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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० छठें अज्झयणं-गीयत्थविहार ०
[८४५] भगवं जो रत्ति-दियह सिद्धंतं पढई सुणे वक्खाणे चिंतए सततं सो किं अनायारमायरे सिद्धत-गयमेगं पि अक्खरं जो वियाणई सो गोयम मरणंते वी अनायारं नो समायरे |
[८४६] भयवं! ता कीस दस-पुव्वी नंदिसेण-महायसे ।
पव्वज्जं चेच्चा गणिकाए गेहं पविट्ठो पमुच्चइ ।। [८४७] तस्स पविलु मे भोगऽहलं खलिय-कारणं ।
भव-भय-भीओ तहा वि यं सो पव्वज्जमवागओ [८४८] पायालं अवि उड्ढमुहं सग्गं होज्जा अहो-मुहं ।
नो उणो केवलि-पन्नत्तं वयणं अन्नहा भवे [८४९] अन्नं सो बहूवाए वा सुय-निबद्धे वियारिउं ।
गुरुणो पामूले मोत्तूणं लिंगं निव्विसओ गओ [८५०] तमेव वयणं सरमाणो दंत-भग्गो स-कम्मुणा ।
भोगहलं कम्मं वेदेइ बद्ध-पुट्ठ-निकाइयं [८५१] भयवं! ते केरिसोवाए सुय-निबद्धे वियारिए |
जेणुज्झिऊणं सामन्नं अज्ज वि पाणे धरेइ सो [८५२] एते ते गोयमोवाए केवलीहिं पवेइए ।
जहा विसय-पराभूओ सरेज्जा सुत्तमिमं मुनी [तं जहा-] || [८५३] तवमट्ठगुणं घोरं आढवेज्जा सुदुक्करं ।
जया विसए उदिज्जंति पडणासण-विसं पिबे [८५४] काउं बंधिऊण मरियव्वं नो चरित्तं विराहए |
अह एयाइं न सक्किज्जा ता गुरुणो लिंग समप्पिया [८५५] विदेसे जत्थ नागच्छे पउत्ती तत्थ गंतूण |
अनुव्वयं पालेज्जा नो णं भविया निद्धंधसे [८५६] ता गोयम ! नंदिसेनेणं गिरि-पडणं जाव पत्थ्यं ।
ताव आयासे इमा वाणी पडिओ वि नो मरिज्ज तं अज्झयणं-६, उद्देसो
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[८५७] दिसा-महाई जा जोए ता पेच्छे चारण-मनिं ।
अकाले नत्थि ते मच्चू-विसमवि स मादितुं गओ [८५८] ताहे वि अण-हियासेहिं विसएहिं जाव पीडिओ |
ताव चिंता समुप्पन्ना जहा किं जीविएण मे [८५९] कुंदेंदु-निम्मलय-रागं तित्थं पावमती अहं ।
उड्डाहतो य सुज्झिस् कत्थ गंतुमनारिओ [८६०] अहवा स-लंछणो चंदो कुंदस्स उण का पहा
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दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[३९-महानिसीह
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