Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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लोभ-ममकारादि इतिहास-खेड्ड-कंदप्पनाहियवादविप्पमुक्के धम्मकहा-संसार-वास-विसयाभिलासादीणं वेरग्गुप्पायगे पडिबोहगे भव्व-सत्ताणं,
से णं गच्छ-निक्खेवण-जोगो, से णं गणी, से णं गणहरे, से णं तित्थे, से णं तित्थयरे, से णं अरहा, से णं केवली, से णं जिणे, से णं तित्थ्ब्भासगे, से णं वंदे से णं पुज्जे से णं नमसणिज्जे, से णं दट्ठव्वे से णं परम-पवित्ते से णं परम-कल्लाणे से णं परम-मंगल्ले, से णं सिद्धी से णं मत्ती से णं सिवे से णं मोक्खे, से णं ताया से णं संमग्गे से णं गती से णं सरण्णे, से णं सिद्धे मुत्ते पारगए-देवदेवे | एयस्स णं गोयमा ! गण-निक्खेवं कज्जा, एयस्स णं गणनिक्खेवं कारवेज्जा, एयस्स णं गणनिक्खवेणं समणुजाणेज्जा, अन्नहा णं गोयमा! आणा-भंगे ।
[८२२] से भयवं केवतियं कालं जाव एस आणा पवेइया ? गोयमा! जाव णं महायसे महासत्ते महानुभागे सिरिप्पभे अनगारे, से भयवं ! केवतिएणं काले णं से सिरिप्पभे अनगारे भवेज्जा ? गोयमा! होही दुरंत-पंत-लक्खणे अदट्ठव्वे रोद्दे चंडे पयंडे उग्ग-पयंडे दंडे निम्मेरे निक्किवे निग्घिणे नित्तिंसे कूरयर-पाव-मती अनारिए मिच्छदिट्ठी कक्की नाम रायाणे | से णं पावे पाहडियं भमाडिउ-कामे सिरि-समण-संघ कयत्थेज्जा, जाव णं कयत्थे इ ताव णं गोयमा ! जे केई तत्थ सीलड्ढे महानुभागे अचलिय-सत्ते तवो हणे अनगारे तेसिं च पाडिहेरियं कुज्जा सोहम्मे कुलिसपाणी एरावणगामी सुर-वरिंदे । एवं च गोयमा! देविंद-वंदिए दिट्ठ-पच्चए णं सिरि-समण-संघे ।
निद्विज्जा णं कुणयपासंड-धम्मे जाव णं गोयमा ! एगे अबिइज्जे अहिंसा-लक्खण-खंतादिदस-विहे धम्मे, एगे अरहा देवाहिदेवे एगे जिनालए एगे वंदे पूए दक्खे सक्कारे सम्माने महायसे महासत्ते महानुभागे दढ-सील-व्वय-नियम-धारए तवोहणे साहू । तत्थ णं चंदमिव सोमलेसे सूरिए इव तव-तेय-रासी पुढवी इव परीसहोवसग्ग-सहे मेरुमंदर-धरे इव निप्पकंपे ठिए अहिंसा-लक्खण-खंतादि दसविहे धम्मे ! से णं सुसमण-गण-परिवुडे निरब्भ-गयणामल-कोमुई-जोग-जुत्ते इव गह-रिक्ख-परियरिए अज्झयणं-५, उद्देसो
गहवई चंदे अहिययरं विराएज्जा, से णं सिरिप्पभे अनगारे, एवइयं कालं जाव एसा आणा पवेइया ।
८२३] से भयवं! उड्ढं पुच्छा | गोयमा ! तओ परेण उड्ढं हायमाणे काल-समए तत्थ णं जे केई छक्काय-समारंभ-विवज्जी से णं धन्ने पुन्ने वंदे पूए नमंसणिज्जे, सुजीवियं जीवियं तेसिं ।
[८२४] से भयवं ! सामण्णे पुच्छा, जाव णं वयासि | गोयमा ! अत्थेगे जे णं जोगे अत्थगे जे णं नो जोगे | से भयवं! के णं अद्वेणं एवं वच्चइ जहा णं अत्थेगे जे णं नो जोगे ? गोयमा! ! अत्थेगे जेसिं णं सामण्णे पडिकुढे अत्थेगे जेसिं च णं सामण्णे नो पडिकुट्टे | एएणं अटेणं एवं वुच्चइ जहा णं अत्थेगे जे णं जोगे अत्थेगे जे णं नो जोगे।
से भयवं! कयरे ते जेसिं णं सामण्णे पडिकुठे ? कयरे वा ते जेसिं च णं नो परियाए पडिसेहिए? गोयमा! अत्थेगे जे णं विरुद्ध अत्थेगे जे णं नो विरुद्धे, जे णं से विरुद्ध से णं पडिसेहिए जे णं नो विरुद्ध से णं नो पडिसेहिए ।
से भयवं के णं से विरुद्ध के वा णं अविरुद्ध ? गोयमा ! जे जेसु देसेसुं दुगुंछणिज्जे जे जेसुं देसेसुं दुगुंछिए जे जेसुं देसेसुं पडिकुढे से णं तेसुं देसेसुं विरुद्धे । जे य णं जेसुं देसेसुं नो दुगुंछणिज्जे जे य णं जेसुं देसेसुं नो दुगुंछिए जे य णं जेसुं देसेसुं नो पडिकुट्टे से णं तेसुं देसेसुं नो
दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[३९-महानिसीह
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