Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 49
________________ [५७०] होही खणं अप्फालिय सूसर-गंभीर-दुंदुहि-निग्घोसा जय-सद्द-मुहल-मंगल-कयंजली जह य खीर-सलिलेणं ।। [५७१] बहु-सुरहि-गंधवासिय कंचन-मणि तुंग-कलसेहिं । जम्माहिसेय-महिमं करेंति जह जिनवरो गिरिं चाले ।। [५७२] जह इंदं वायरणं भयवं वायरइ अट्ठ-वरिसो वि जह गमइ कुमारत्तं परिणे बोहिंति जह व लोगंतिया देवा ।। अज्झयणं-३, उद्देसो - - [५७३] जह-वय-निक्खमण-महं करेंति सव्वे सुरीसरा मुइया । जह अहियासे घोरे परीसहे दिव्व-माणुस-तिरिच्छे ।। [५७४] जह घन-घाइचउक्कं कम्मं दहइ घोरतव-ज्झाण-जोग्ग-अग्गीए । लोगाऽलोग-पयासं उप्पाए जहव केवलन्नाणं । [५७५] केवल-महिमं पुनरवि काऊणं जह सुरीसराईया पुच्छंति संसए धम्म नाय-तव-चरणमाईए | [५७६] जह व कहेइ जिणिंदो सुर-कय-सीहासनोवविठ्ठो य तं चउविह-देव-निकाय-निम्मियं जह व वर-समवसरणं । तुरियं करेंति देवा जं रिद्धीए जगं तुलइ ।।। [५७७] जत्थ समोसरिओ सो भुवनेक्क-गुरू महायसो अरहा अट्ठमह-पाडिहेरय-सुचिंधियं वहइ तित्थयं नामं ।। [५७८] जह निद्दलह असेसं मिच्छत्तं चिक्कणं पि भव्वाणं पडिबोहिऊण मग्गे ठवेइ जह गणहरा दिक्खं ।। [५७९] गिण्हंति महा-मइणो सत्तं गंथंति जह व य जिणिंदो भासे कसिणं अत्थं अनंत-गम-पज्जवेहिं तु । [५८०] जह सिज्झइ जग-नाहो महिमं नेव्वाण-नामियं जहं य सव्वे वि सुर-वरिंदा असंभवे तह वि मुच्चंति || [५८१] सोगत्ता पगलंतंसु धोय-गंडयल-सरसइ-पवाहं कलुणं विलाव-सदं हा सामि ! कया अनाह ! त्ति ।। [५८२] जह सुरहि-गंध-गब्भिण महंत-गोसीस-चंदन-दुमाणं । कठेहिं विही-पुव्वं सक्कारं सुरवरा सव्वे ।। [५८३] काऊणं सोगत्ता सुण्णे दस-दिसि-वहे पलोयंता जह खीर-सागरे जिन-वराण अट्ठी पक्खालिऊणं च ।। [५८४] सुर-लोए-नेऊणं आलिंपेऊण पवर-चंदन-रसेणं मंदार-पारियायय सयवत्त-सहस्सपत्तेहिं ।। [५८५] जह अच्चेऊणं सुरा निय-भवनेस जह व य थुणंति [तं सव्वं महया वित्थरेण अरहंत-चरियाभिहाणे अंतगडदसानंत-मज्झाओ कसिणं विन्नेय ।। दीपरत्नसागर संशोधितः] [48] [३९-महानिसीह -

Loading...

Page Navigation
1 ... 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153