Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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[७४१] मुणिणो नाणाभिग्गह दुक्कर पच्छित्तमनुचरंताणं ।
जायइ चित्त-चमक्कं देविंदाणं पि तं गच्छं [७४२] जत्थ य वंदन-पडिक्कमणमाइ मंडलि विहाणनिउण-ण्णू ।
गुरुणो अखलिय-सीले सययं कद्ग्ग-तव-निरए [७४३] जत्थ य उसभादीणं तित्थयराणं सुरिंदमहियाणं ।
कम्मट्ठ-विप्पमुक्काण आणं न खलिज्जइ स गच्छो [७४४] तित्थयरे तित्थयरे तित्थं पण जाण गोयमा ! संघं |
संघे य ठिए गच्छे गच्छ-ठिए-नाण-दंसण-चरित्ते [७४५] नादसणस्स नाणं दंसणनाणे भवंति सव्वत्थ ।
भयणा चारित्तस्स उ दंसण-नाणे धुवं अत्थि [७४६] नाणी दंसण-रहिओ चरित्त-रहिओ उ भमइ संसारे ।
जो पुण चरित्त-जुत्तो सो सिज्झइ नत्थि संदेहो [७४७] नाणं पगासयं सोहओ तवो संजमो उ गत्तिकरो । तिण्हं पि समाओगे मोक्खो नेक्कस्स वि अभावे [७४८] तस्स वि य संकंगाइं नाणादि-तिगस्स खंति-मादीणि ।
तेसिं चेक्केक्क-पयं जत्थाणुट्ठिजइ स गच्छो
[७४९] पुढवि-दगागणि-वाऊ-वणप्फई तह तसाण विविहाणं । अज्झयणं-५, उद्देसो
मरणंते वि न मनसा कीरइ पीडं तयं गच्छं [७५०] जत्थ य बाहिर-पाणस्स बिंदु-मेत्तं पि गिम्ह-मादीसुं ।
तण्हा-सोसिय-पाणे मरणे वि मुनी न इच्छंति [७५१] जत्थ य सूल-विसूइय-अन्नयरे वा विचित्त-मायके ।
उप्पन्ने जलणुज्जालणाइं न करे मुनी तयं गच्छं [७५२] जत्थ य तेरसहत्थे अज्जाओ परिहरंति नाण-धरे ।
मनसा सुय-देवयमिव सव्वमिवीत्थी परिहरंति [७५३] इति-हास-खेड्ड-कंदप्प नाह-वादं न कीरए जत्थ ।
धोवण-डेवण-लंघण न मयार-जयार-उच्चरणं [७५४] जत्थित्थी-कर-फरिसं अंतरियं कारणे वि उप्पन्ने ।
दिट्ठीविस-दित्तग्गी-विसं व वज्जिज्जइ स गच्छो [७५५] जत्थित्थी-कर-फरिसं लिंगी अरहा वि सयमवि करेज्जा ।
तं निच्छयओ गोयम ! जाणिज्जा मूल-गुण-बाहा [७५६] मूल-गुणेहिं उ खलियं बहु-गुण-कलियं पि लद्धि-संपन्नं ।
उत्तम-कुले वि जायं निद्धाडिज्जइ जहिं तयं गच्छं ।। [७५७] जत्थ हिरण्ण-सुवण्णे धण-धन्ने कंस-दूस-फलहाणं । सयणाणं आसणाणं य न य परिभोगो तयं गच्छं
दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[३९-महानिसीह
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